भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) की अब कोशिश है कि ग्रामीण और पिछड़े वर्ग को इंटरनेट से जोड़ा जाए। इसके लिए ट्राई ने फैसला किया है कि वह ग्रामीण इलाकों में रह रहे लोगों को मुफ्त में 100 एमबी डेटा प्रदान करेगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों को यह डेटा उनकी निजी भाषा में देने की कोशिश की जायेगी।
जाहिर है रिलायंस जिओ के टेलीकॉम जगत में आने से डेटा की कीमतें काफी कम हो गयी हैं। इसके बाद अब ट्राई की कोशिश है कि सभी दबे और पिछड़े वर्ग के लोगों को इंटरनेट की मुख्यधारा से जोड़ा जाए।
इस बारे में ट्राई की ओर से कहा गया, “इससे पहले ट्राई ने 2016 के डेटा कीमतों को ध्यान में रखकर योजना बनायी थी। हालाँकि टेलीकॉम जगत में नयी कंपनियों के आने से इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा काफी बढ़ी है, जिससे डेटा के दामों में कमी आयी है।”
ट्राई के इस कदम से हालाँकि यह मुद्दा बन गया है कि इस योजना के लिए खर्चा कहाँ से आएगा? पहले खबर थी कि इसके लिए फण्ड यूनिवर्सल सर्विस फण्ड प्रदान करेगा। हालाँकि बाद में डिपार्टमेंट ऑफ़ टेलीकम्यूनिकेशन ने कहा कि इस योजना के लिए फण्ड यूनिवर्सल सर्विस फण्ड से नहीं लिया जा सकता है क्योंकि वहां से फण्ड पहले ही टेलिकॉम से जुड़ी अन्य सेवाओं में इस्तेमाल हो रहा है।
ट्राई की इस योजना से हालाँकि नेट निरपेक्षता पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं। जाहिर है हाल ही में ट्राई ने नेट निरपेक्षता के पक्ष में फैसला लेकर यह कहा था कि कोई भी डेटा प्रदान करने वाली कंपनी इन्टरनेट पर किसी भी तरह के कंटेंट के साथ भेदभाव नहीं कर सकती है।
ऐसे में ग्रामीण इलाकों में इन्टरनेट सेवा देने वाली कंपनियों पर यह जरूर निर्भर करेगा कि वे किस तरह से ट्राई के इस फैसले का पालन करते है।