नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)| दो दशक के इतिहास में यह शायद पहला मौका होगा जब श्रीलंका की टीम आईसीसी विश्व कप में कमजोर टीम के तौर पर गिनी जा रही है। 1996 में खिताब जीतने वाली यह टीम विश्व कप में निरंतर अच्छा करती आई है लेकिन इस बार उससे चमत्कारिक प्रदर्शन की उम्मीद शायद ही किसी को हो।
वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी टीम है जो वक्त के साथ विश्व पटल पर अपने आप को मजबूत करती जा रही है। बांग्लादेश को अब पहले की तरह कोई भी टीम हल्के में नहीं लेती क्योंकि सभी टीमें जानती हैं कि यह टीम उलटफेर करने का दम रखती है। हालांकि, टीम खिताब के दावेदारों में नहीं गिनी जा रही है।
दोनों की कहानियां दिलचस्प हैं और इस विश्व कप में दोनों के लिए अपने आप को साबित करने का सवाल है। श्रीलंका के सामने चुनौती अपनी पुरानी छवि को पुनर्जीवित करनी की है तो बांग्लादेश को यह बताना है कि वह पहले से और मजबूत हुई है।
कुमार संगकारा, महेला जयावर्धने, तिलकरत्ने दिलशान, मुथैया मुरलीधरन जैसे दिग्गजों के जाने के बाद श्रीलंका की टीम वो नहीं रही जो हुआ करती थी। इन सभी के जाने के बाद टीम में कभी भी स्थिरता नहीं देखी गई और न ही वो खिलाड़ी इस टीम को मिले जो इसके आगे ले जाएं। हालत यहां तक बिगड़ी कि जिम्बाब्वे ने श्रीलंका को उसके घर में आकर वनडे सीरीज में पटखनी दी।
स्थिति अभी भी नहीं सुधरी है। टीम के नेतृत्व में लगातार बदलाव, टीम चयन में एकरूपता न होना, खिलाड़ियों का लगातार टीम से अंदर-बाहर होना, यह ऐसी चीजें रहीं हैं जिसने श्रीलंका को कभी भी वापसी की राह पर आने नहीं दिया।
विश्व कप में टीम की कमान एक ऐसे खिलाड़ी के पास है जो चार साल बाद वनडे खेल रहा है। श्रीलंका ने दिमुथ करुणारत्ने को टीम का कप्तान बनाकर इंग्लैंड भेजा है। हाल ही में करुणारत्ने ने स्कॉटलैंड के खिलाफ वनडे मैच खेला था लेकिन इससे पहले उन्होंने अपना आखिरी वनडे एक मार्च 2015 में वेलिंग्टन में खेला था। अब दिमुथ क्या कमाल दिखा पाते हैं, यह तो वक्त ही बताएगा।
बल्लेबाजी में टीम के पास कुरणारत्ने के अलावा कुशल मेंडिस और अनुभवी एंजेलो मैथ्यूज ऐसे नाम हैं जो अच्छा कर सकते हैं।
वहीं गेंदबाजी में टीम के पास लसिथ मलिंगा का अनुभव है। मलिंगा ने हाल ही में आईपीएल में मुंबई इंडियंस के लिए खेलते हुए अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन वनडे में मलिंगा कितने कारगर साबित होंगे, यह टूर्नामेंट में ही पता चलेगा।
मलिंगा के अलावा थिसारा परेरा के पास भी अनुभव है जो श्रीलंका के काम आ सकता है लेकिन मैथ्यूज, मलिंगा और परेरा के अनुभव के दम पर श्रीलंका कमाल नहीं कर सकता और इसलिए बाकी के युवाओं को भी साथ आना होगा और दम दिखाना होगा।
अगर बांग्लादेश की बात की जाए तो टीम की बल्लेबाजी भी अच्छी है और गेंदबाजी भी और जिस दिन इन दोनों ने अपना श्रेष्ठ दिया तो यह टीम किसी भी टीम को पटक सकती है।
2007 विश्व कप में बांग्लादेश ने भारत को हराया था और तभी से इस टीम की कायापलट होनी शुरू हुई है। असर हालांकि अभी बीते कुछ वर्षो में दिखा है।
टीम की बल्लेबाजी की बात की जाए तो तमीम इकबाल इसकी धुरी हैं। तमीम के ऊपर काफी कुछ निर्भर है। इस बल्लेबाज में तेजी से रन बनाने और बड़ी पारी खेलने का दम है। वहीं उनका साथ देने के लिए टीम के पास सौम्य सरकार हैं।
मध्य क्रम में टीम के पास मुश्फीकुर रहीम हैं जो किसी भी गेंदबाजी को अस्थिर करने का दम रखते हैं। महमदुल्लाह, मोसद्दक हुसैन, शाकिब अल हसन भी टीम को मजबूती देते हैं।
इस टीम में शाकिब बड़ा नाम हैं। शाकिब गेंद और बल्ले दोनों से टीम के लिए अहम किरदार निभाते आए हैं। इस विश्व कप में भी उनके ऊपर काफी कुछ निर्भर करता है। टीम को यहां तक पहुंचाने में शाकिब का बड़ा योगदान रहा है। भारत के खिलाफ खेले गए अभ्यास मैच में लिटन दास ने भी अच्छी बल्लेबाजी की थी।
टीम की गेंदबाजी का दारोमदार मुस्तफीजुर रहमान पर होगा। रहमान विश्व क्रिकेट में काफी प्रतिभाशाली गेंदबाज माने जाते हैं। बाएं हाथ का यह युवा गेंदबाज इंग्लैंड की परिस्थितियों में खतरनाक साबित हो सकता है। रहमान को रूबेल हुसैन और कप्तान मशरफे मुर्तजा का साथ मिलेगा।
टीमें :
बांग्लादेश : मशरफे मुर्तजा (कप्तान), तमीम इकबाल, सौम्य सरकार, शब्बीर रहमान, रुबेल हुसैन, मुस्तफिजुर रहमान, अबु जायेद, महमदुल्लाह, मोहम्मद सैफुद्दीन, मोसद्दक हुसैन, शाकिब अल हसन, मेहंदी हसन, लिटन दास (विकेटकीपर), मुश्फीकुर रहीम (विकेटकीपर), मोहम्मद मिथुन।
श्रीलंका : दिमुथ करुणारत्ने (कप्तान), अविश्का फर्नाडो, लाहिरू थिरिमाने, एंजेलो मैथ्यूज, धनंजय डी सिल्वा, इसुरू उदाना, मिलिंदा श्रीवर्दना, थिसारा परेरा, जीवन मेंडिस, कुशल परेरा (विकेटकीपर), कुशल मेंडिस, जैफ्री वैंडरसे, लसिथ मलिंगा, सुरंगा लकमल, नुवान प्रदीप।