नई दिल्ली, 29 मई (आईएएनएस)| सर्वोच्च न्यायालय ने पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम की जमा 10 करोड़ रुपये लौटाने की याचिका खारिज कर दी और नवनिर्वाचित सांसद कार्ति से अपने निर्वाचन क्षेत्र पर ध्यान देने की सलाह भी दे डाली।
कार्ति चिदंबरम एयरसेल-मैक्सिस और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों का सामना कर रहे हैं। इनमें से एक मामले में जब उनके पिता वित्तमंत्री थे तब आईएनएक्स मीडिया को 305 करोड़ रुपये के विदेशी फंड के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मिली मंजूरी भी शामिल है।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली अवकाश पीठ ने कहा, “हर बार जब आप विदेश जाते हैं तो आप 10 करोड़ रुपये जमा करते हैं। ठीक है..हम 10 करोड़ रुपये वापस कर देंगे, लेकिन अगली बार जब आप जाएंगे तो हम आपसे 20 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहेंगे।”
कार्ति के वकील ने यह कहते हुए पीठ का दरवाजा खटखटाया कि वह भारत लौट आए हैं और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के पास जमा धन वापस कर दिया जाना चाहिए।
अदालत ने पूछा, “आप अदालत में 10 करोड़ रुपये के पीछे क्यों पड़े हैं?”
कार्ति चिदंबरम ने अपनी विदेशी यात्रा के संबंध में अदालत की रजिस्ट्री के पास जमा 10 करोड़ रुपये लौटाए जाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था।
उन्होंने दावा किया कि उन्होंने 10 करोड़ रुपये जमा करने के लिए ऋण लिया और उसका ब्याज दे रहे हैं। न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी और संजीव खन्ना की सदस्यता वाली अवकाश पीठ के समक्ष कार्ति की याचिका को पेश किया गया।
अदालत ने उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया और मामले को प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ के सामने ले जाने के लिए कहा।
इससे पहले, प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने कार्ति को इस साल मई और जून में ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन की यात्रा करने की अनुमति इस शर्त पर दी थी कि वह शीर्ष अदालत के सेक्रेटरी जनरल के पास 10 करोड़ रुपये जमा करेंगे। अदालत ने कहा था कि उनके लौटने पर उन्हें रुपये लौटा दिए जाएंगे।