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    इस्पात

    कोलकाता, 28 मई (आईएएनएस)| अवसंरचना परियोजनाओं पर केंद्र सरकार के लगातार ध्यान देने से उत्साहित देश की इस्पात मांग में मौजूदा वित्तवर्ष के दौरान लगभग सात प्रतिशत वृद्धि की संभावना है। विशेषज्ञों ने यह बात मंगलवार को कही।

    इंस्टीट्यूट फॉर स्टील डेवलपमेंट एंड ग्रोथ (आईएनएसडीएजी) के महानिदेशक सुशिम बनर्जी ने कहा, “केंद्र सरकार सागरमाला, स्मार्ट सिटीज जैसी अवसंरचना परियोजनाओं पर ध्यान दे रही है और नई सरकार इस पर ध्यान देती रहेगी। मुझे लगता है कि इस्पात मांग में 2019-20 में सात-आठ प्रतिशत वृद्धि हो सकती है।”

    बनर्जी के सुर में सुर मिलाते हुए जेएसडब्ल्यू स्टील के अध्यक्ष (संचालन) पार्था सेनगुप्ता ने भी कहा कि इस क्षेत्र का परिदृश्य उज्ज्वल है और मौजूदा वित्तवर्ष के दौरान इस्पात उपभोग छह-सात प्रतिशत बढ़ेगा।

    बंगाल चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा यहां आयोजित धातु कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक (प्रॉसेसिंग एंड डिस्ट्रीब्यूशन) अब्राहम स्टेफानोस ने कहा, “भारत में इस्पात के अवसर की अपार संभावना है, क्योंकि हम अधिक से अधिक शहरीकृत हो रहे हैं।”

    उन्होंने कहा, “भारत में इस्पात उद्योग ढांचागत अक्षमताओं से प्रभावित है।”

    सरकार द्वारा संचालित एनएमडीसी के पूर्व अध्यक्ष राणा सोम ने कहा कि देश में इस्पात कंपनियां का विस्तार और विकास कर्ज फंड के बदले इक्वि टी कैपिटल के आधार पर होना चाहिए।

    उन्होंने कहा, “सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पास उपलब्ध जमीन लेकर इस्पात संयंत्र लगाने चाहिए, अन्यथा मौजूदा भूमि अधिग्रहण कानून लागू होने के बाद ग्रीनफील्ड इस्पात की स्थापना काफी कठिन होगा।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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