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    नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)| बड कियारी सिंड्रोम की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित पांच महीने की बच्ची को यहां अपोलो अस्पताल में नया जीवन मिला है। आन्ध्र प्रदेश के काकीनाडा की बच्ची सुरमपुदी सेहिथा को एक महीने की अवस्था में पीलिया हो गया था। लगातार सूजन के कारण उसका पेट फूलता जा रहा था और उसकी हालत बिगड़ती जा रही थी।

    अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर एवं सीनियर पीडिएट्रिक गैस्ट्रोएंट्रोलोजिस्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने कहा, “बाइलरी एट्रिसिया ऐसी बीमारी है जो 12,000 में से एक बच्चे में देखी जाती है, इसमें लिवर और आंतों के बीच कनेक्शन नहीं होता। इलाज के लिए सबसे पहले लिवर और आंतों के बीच कनेक्शन बनाना होता है।”

    उन्होंने कहा, “जब वह हमारे अस्पताल में आई उसका वजन 5.5 किलोग्राम था, उसके पेट में तकरीबन 1 लीटर पानी भरा था। यानी उसका सही वजन 4.5 किलोग्राम था। हमने जांच के बाद पाया कि बच्ची ऑक्ल्युडेड हेपेटिक वेनस चैनल्स से पीड़ित थी। उसमें बड कियारी सिंड्रोम का इलाज किया गया। यह एक दुर्लभ बीमारी है जो 20 लाख में से एक बच्चे में पाई जाती है।”

    इसके बाद सुरमपदी का लिविंग डोनर ट्रांसप्लान्ट (यकृत प्रत्यारोपण) किया गया, जिसमें बच्ची की मां डोनर थीं।

    लिवर ट्रांसप्लान्ट एवं हेपेटोबाइलरी और पैनक्रियाटिक सर्जन विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. नीरव गोयल ने कहा, “बड कियारी और बाइलरी एट्रिसिया दोनों के एक साथ होने के कारण लिवर ट्रांसप्लान्ट की प्रक्रिया में जोखिम बहुत अधिक था। सर्जरी के बाद बच्ची ठीक हो गई और उसे तीन सप्ताह के बाद छुट्टी दे दी गई।”

    उन्होंने कहा, “बच्ची के माता-पिता आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं, कई दयालु लोगों ने उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाया, जिन्होंने क्राउड-फंडिंग प्लेटफॉर्म के जरिए बच्ची के इलाज में योगदान दिया।”

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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