ऑलराउंडर विजय शंकर ने भारत के विश्व कप टीम में स्थान पाने के लिए पिछले साल निदाहस ट्रॉफी के फाइनल में अपने निराशाजनक प्रदर्शन के लिए खलनायक घोषित किए जाने से एक लंबा सफर तय किया है। मुख्य चयनकर्ता ने एमएसके प्रसाद ने उन्हे विश्वकप की 15 सदस्यीय टीम में अंबाती रायडू की जगह नंबर चार के लिए रखा है और उन्हे एक 3 आयामी खिलाडी का दर्ज दिया है। शंकर को गंभीर आलोचना और कई बाधाओं से जूझना पड़ा लेकिन दबाव में शांत रहने की उनकी क्षमता और उनके स्वभाव ने उन्हें हर उस चीज़ से निपटने में मदद की जो उनके रास्ते में आई।
गौरव कपूर के साथ ब्रेकफास्ट विद चैंपियंस यू ट्यूब शो में शंकर ने खुलासा किया है कि उन्होने कैसे भारत के पूर्व कप्तान एमएस धोनी से दबाव की परिस्थितियो में शांत रहने की कला सीखी है। धोनी इस समय भारत की टीम में सलाहकार की भूमिका में है क्योकि वह टीम में सबसे ज्यादा अनुभवी खिलाड़ी है और वह कई मौको पर युवा खिलाड़ियो की मददद करते नजर आए है। शंकर से जब पूछा गया कि उनका स्वभाव उनका सबसे बड़ा कौशल है, तो उन्होंने कहा कि उन्होंने धोनी से इसे सीखा है।
कपूर ने पूछा, “मुझे लगता है कि आपका स्वभाव आपका कौशल है, यह आपका वास्तविक कौशल है। क्योंकि हर कोई क्रिकेट खेल सकता है, उस स्तर पर जहां आप सभी महान क्रिकेट खेल रहे हैं, लेकिन मुझे लगता है कि आपका स्वभाव और तथ्य यह है कि आपने शांत रहना सीखा है, मुझे लगता है कि यह एक बड़ी चीज है।”
शंकर ने इस पर जबाव देते हुए कहा, ” ईमानदारी से, मैंने यह सब माही भाई से सीखा है। उन्होंने मुझसे कहा कि आपको बहुत शांत और तटस्थ रहने की जरूरत है ताकि आप दोनों चीजों को आसानी से संभाल सकें। बस अपने काम पर ध्यान दें और चीजें खुद ही संभाल लेंगी।”
शंकर के लिए पिछले साल निदाहास ट्रॉफी में एक अच्छा डेब्यू नही रहा था, लेकिन इस साल जनवरी में टीम में वापसी करते हुए उन्होने उस दौरान झेली सभी आलचनाओ का जबाव दिया है। उन्होने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के दौर में चयनकर्ताओं को अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया था जिसके चलते उन्हे विश्वकप की टीम में जगह बनाने के लिए मात्र 4 महीने का समय लगा।