लखनऊ, 23 मई (आईएएनएस)| समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव इस लोकसभा चुनाव में अपने मंसूबे में कामयाब नहीं हो सके। वह पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
शिवपाल यादव ने चुनाव लड़ने के लिए फिरोजाबाद को रणनीति के तहत चुना था। फिरोजाबाद संसदीय क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या अधिक होने के कारण भी उन्होंने यहां से चुनाव लड़ने का फैसला किया था। शिवपाल की कोशिश सपा के गढ़ में सपा को घेरने की थी। लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
शिवपाल यहां पूरी रणनीति के तहत चुनाव लड़ने उतरे थे। लखनऊ की रैली में स्थानीय सपा नेताओं ने शिवपाल को फिरोजाबाद से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव रखा था और शिकोहाबाद के रामलीला मैदान में बड़ी रैली करके शिवपाल ने फिरोजाबाद से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। शिवपाल यादव ने फरवरी माह से चुनाव प्रचार शुरू किया था।
उनकी नजर यादव वोट के साथ-साथ मुस्लिम और भाजपा के वोट बैंक पर थी। भाजपा ने जिस तरह से प्रत्याशी की घोषणा काफी देर से की और साधारण कार्यकर्ता को टिकट दिया, उससे शिवपाल समर्थक दूसरा गणित लगाए बैठे थे। शिवपाल समर्थक सोच रहे थे कि इसका लाभ उन्हें मिलेगा और भाजपा का कुछ वोट उन्हें शिफ्ट हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
शिवपाल ही नहीं, उनके रणनीतिकारों की रणनीति भी फेल हो गई। शिवपाल यादव मुख्य मुकाबले से ही बाहर हो गए। मुकाबला सपा और भाजपा के बीच हुआ। शिवपाल तीसरे नंबर पर पहुंच गए। शिवपाल को मिले वोट जो सपा के परंपारागत थे, यदि यही अक्षय यादव को मिलते तो वह जीत सकते थे। शिवपाल ने अपने परिवार के विजय रथ को रोकने का प्रयास किया।