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    लीबिया में अमेरिकी राजदूत

    संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को जंग से जूझ रहे देश लीबिया में राष्ट्रों से हथियार मुहैया नहीं करने का आग्रह किया है और कहा कि “लीबिया एक लम्बी और खूनी जंग की तरफ बढ़ रहा है।” लीबिया में यूएन के राजदूत ग़स्सान सलामे के हवाले से अलजजीरा ने बताया कि “त्रिपोली के आस-पास के इलाकों में हिंसा आभ्यन्तरिक के दक्षिणी किनारे में खूनी और लंबी जंग की सिर्फ शुरुआत है।”

    लीबिया में संयुक्त राष्ट्र समर्थित सरकार गवर्मेंट ऑफ़ नेशनल एकॉर्ड ने दर्ज़नो तुर्क निर्मित हथियार वाहनों की तस्वीरें पोस्ट की थी, जिस पर यूएन ने तुरंत संज्ञान लिया है। 4 अप्रैल को विरोधी खलीफा हफतार की सेना ने त्रिपोली पर नियंत्रण के लिए सेना को आक्रमण के आदेश दिए थे।

    यूएन समर्थिक सरकार और हफ्तार की सेना के बीच संघर्ष से 390 से अधिक लोगो की मौत हो गयी है और 1900 से ज्यादा लोग बुरी तरह जख्मी है। साल 2011 में लीबिया के तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी की मौत के बात देश दो धड़ो में बंट गया है। लिबयन नेशनल आर्मी नियंत्रित संसद देश के पूर्वी भाग पर शासन करती है जबकि जीएनए का राजधानी सहित पश्चिमी भाग पर नियंत्रण है।

    त्रिपोली में हफ्तार के अभियान की शुरुआत के बाद 50000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। लीबिया के प्रधानमंत्री फ़ाएज़ सर्राज ने गुरूवार को कैबिनेट मीटिंग में कहा कि “यहां तक तक कोई संघर्षविराम लागू नहीं होगा जब तक हफ्तार की सेना अपने इलाके में वापस नहीं लौट जाती।”

    क्षेत्र में तनाव के बढ़ते ही भारत, नेपाल और अमेरिका ने अपने शान्ति स्थापित करने वाली सेना को वापस बुला लिया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सिलसिलेवार तरीके से भारतीयों को लीबिया छोड़ने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि देश में सभी भारतीय अधिक सावधानी बरते क्योंकि हालात अभी अह्दिक खराब होने हो आशंका है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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