नई दिल्ली, 21 मई (आईएएनएस)|केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि एजेंसी ने आय से अधिक संपत्ति मामले में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव व प्रतीक यादव को आरोप सिद्ध नहीं होने की वजह से क्लीनचिट दे दी है। इनके विरुद्ध 2013 में मामला दर्ज किया गया था।
लोकसभा चुनाव के नतीजों के लिए 23 मई को मतगणना होनी है, उससे दो दिन पहले यादव परिवार को क्लीनचिट दिया जाना एक महत्वपूर्ण घटना है।
इससे पहले यादव परिवार ने एक हलफनामा दाखिल किया था और दावा किया था कि मामले की प्रकृति पूरी तरह से राजनैतिक है और इसे लोकसभा चुनाव के साथ लाया गया है। क्लोजर रिपोर्ट को यादव परिवार के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है।
सीबीआई ने शीर्ष अदालत को 9 मई को एक हलफनामें में बताया था कि यादव परिवार के विरुद्ध निष्पक्ष जांच के बाद बाद, एजेंसी ने 7 अगस्त, 2013 को मामले को बंद करने का स्वतंत्र निर्णय लिया था।
सीबीआई ने यह भी कहा कि जांच 13 दिसंबर, 2012 के सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों की भावना के साथ किया गया और उसे केंद्र से किसी भी प्रकार का दिशानिर्देश नहीं मिला है। इसी के अनुसार, एजेंसी ने केंद्रीय सतर्कता आयोग के समक्ष भी एक रिपोर्ट पेश की थी और सीबीआई में संबंधित अधिकारियों ने 7 अगस्त, 2013 को यादव परिवार के विरुद्ध मामला बंद कर दिया था।
सीबीआई ने ताजा 23 पन्नों के हलफनामे में कहा, “जांच के दौरान पहली नजर में कोई सबूत नहीं मिला और जांच प्राथमिकी या एफआईआर में नहीं बदली जा सकी।”
सीबीआई ने अदालत को बताया कि 7 अगस्त, 2013 के बाद से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के खिलाफ कोई जांच नहीं की गई।
12 अप्रैल को, एजेंसी ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को मौखिक रूप से बताया था कि वह पहले ही मामले को बंद कर चुकी है। अदालत ने एजेंसी को मामले पर जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्तों का समय दिया था।
25 मार्च को, याचिकाकर्ता विश्वनाथ चतुर्वेदी ने मामले में सीबीआई को अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए निर्देश देने के मद्देनजर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। चतुर्वेदी ने कहा था कि सीबीआई इस मामले के संबंध में किसी भी प्रकार की प्रगति के बारे में अदालत को सूचित करने में विफल रही है।