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    क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान

    सऊदी अरब ने खाड़ी में जारी तनाव पर चर्चा के लिए तत्काल क्षेत्रीय वार्ता की मांग की है। रविवार को उन्होंने कहा कि “वह ईरान के साथ जंग नहीं चाहते हैं लेकिन आत्मरक्षा के लिए तैयार है।” अत्यधिक संवेदनशील खाड़ी जल पर कई टैंकरों पर हमला किया गया था और सऊदी की तेल पाइपलाइन पर यमन के हूथी विद्रोहियों ने हमला किया था।

    अमेरिका ने ईरान के खतरे की आशंका में एक जंगी विमान और बमवर्षक की तैनाती की थी। बादशाह सलमान ने गल्फ के नेताओं और अरब लीग को दो दिनों के आपात आयोजन के लिए मेक्का में 30 मई को आमंत्रित किया है और इसमें हालिया आक्रमकता और परिणामो पर चर्चा किया जायेगा।

    सऊदी अरब के विदेश मामले के राज्य मंत्री आदेल अल जुबैर ने रविवार को कहा कि “उनका देश ईरान के साथ युद्ध नहीं चाहता है लेकिन खुद का बचाव करेगा। सऊदी अरब जंग नहीं चाहता है लेकिन खुद को बचाव में हर संभव कार्य करेगा। दूसरे पक्ष ने यदि युद्ध का चयन किया है तो सल्तनत खुद के बचाव और अपने हितो के संरक्षण के लिए उसे मज़बूती और दृढ़ता से जवाब देगी।”

    सऊदी अरब के मित्र देशों ने इस आमंत्रण का स्वागत किया है। यूएई के विदेश मंत्रालय ने कहा कि मौजूदा संकटग्रस्त माहौल अरब और खाड़ी उद्द्श्यों को एकजुट करने के लिए जरुरी है। यह अवसर क्षेत्र के देशों के समक्ष शान्ति और स्थिरता कायम करने के अपने इरादों को हासिल करने का बेहतरीन मौका होगा।

    क़तर ने रविवार को कहा कि “उन्हें यकीन नहीं है कि अमेरिका या ईरान क्षेत्र में जंग चाहते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा था कि वह जंग नहीं चाहते हैं, और मुझे नहीं लगता कि ईरान जंग या क्षेत्र में अस्थिरता चाहता है।” विदेशी मामलो के राज्य मंत्री सुल्तान अल मुरईखि ने कहा कि “अगर हम क्षेत्र में बचकाना शासन से दूर रहेंगे तो सभी समस्याएँ समाप्त हो जायेगी।”

    क़तर को इस बैठक का कोई आधिकारिक न्योता नहीं मिला है। सऊदी अरब, यूएई, बहरीन और मिस्र ने क़तर से साल 2017 में कूटनीतिक सम्बन्ध खत्म कर दिए थे। क़तर पर आरोप था कि वह आतंकवाद का समर्थन करता है और ईरान के साथ करीबी सम्बन्ध चाहता है।

    अंतर्राष्ट्रीय संकट समूह की विश्लेषक एलिज़ाबेथ डिस्किंसन के मुताबिक रियाद दिखाना चाहता है कि क्षेत्र उसके पीछे हैं। ईरान के खिलाफ अमेरिका के अधिकतम दबाव अभियान में उसके पश्चिमी सहयोगियों का बेहद कम समर्थन है सऊदी अरब अपनी आँखों ने अरब और मुस्लिम देशों का एक मज़बूत गठबंधन का गठन कर रहा है और वह हमेशा ईरान की सलाह की खिलाफत करता है।”

    दो सऊदी के जहाजों सहित रविवार को यूएई के जलमार्ग पर चार टैंकर रहस्मय तरीके से क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके बाद मंगलवार को ड्रोन से सऊदी की तेल पाइपलाइन पर हमला किया गया था जिसकी जिम्मेदारी यमन के हूथी विद्रोहियों ने ली थी। सऊदी अरब ने इस हमले का ठिकड़ा ईरान के सर पर फोड़ा था और कहा कि यह निशाना तेल सप्लाई की सुरक्षा और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर था।

    एसपीए ने रविवार को कहा कि “क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान ने अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ के साथ क्षेत्र में सुरक्षा के विस्तार के लिए बातचीत की थी।” अमेरिका ने क्षेत्र में अपनी सैन्य मौजूदगी को मज़बूत कर लिया है। उन्होंने वहां बी-52 बमवर्षक की तैनाती की है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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