ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने मंगलवार को अपने मित्र देशों से साल 2015 में हुई परमाणु संधि को बचाने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया है जिससे अमेरिका ने बीते वर्ष पल्ला झाड़ लिया था। बीजिंग की यात्रा पर जावेद जरीफ ने कहा कि “वह चीनी अधिकारीयों से द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत करेंगे और इसके आलावा क्षेत्र में जारी बेहद खतरनाक मामलो पर भी बातचीत करेंगे।”
ईरान के विदेश मंत्रालय ने जावेद जरीफ की वीडियो को प्रकाशित किया है। खाड़ी में तनाव के बीच ईरान ने गुरूवार को अमेरिका के साथ बातचीत के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा खाड़ी में अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती के बावजूद हमने अधिकतम संयमता बरती है। उनका दावा है कि यह तेहरान के लिए निकटस्थ खतरा है।”
जरीफ ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से जॉइंट कम्प्रेहैन्सिव प्लान ऑफ़ एक्शन को बचाने की गुहार लगाई है। साल 2015 में यह समझौता ईरान और वैश्विक ताकतों के बीच हुआ था इसमें यूरोपीय संघ भी शामिल था और अमेरिका ने संधि के तहत प्रतिबंधों से निजात के बदले ईरान से परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने की मांग की थी।
साल 2018 में डोनाल्ड ट्रम्प ने इस संधि से अमेरिका को बाहर निकाल लिया था और ईरान पर एकतरफा प्रतिबन्ध थोप दिए थे। जावेद जरीफ ने कहा कि “अगर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और इस संधि के सदस्य देश और हमारे मित्र इस उपलब्धि को बनाये रखना चाहते हैं तो यह सुनिश्चित करना जरुरी है कि ठोस कदमो के साथ ईरानी जनता इस संधि के फायदों का लुत्फ़ उठा सके।”
जरीफ ने बीते हफ्ते कहा था कि केवल रूस और चीन ने ही ईरान का समर्थन किया है और परमाणु संधि में बरक़रार रहने में मदद की है। साथ ही इस संधि के अन्य पक्षों पर तेहरान को दरकिनार करने के आरोप लगाए हैं। ईरानी तेल खरीदारों में चीन पहले पायदान है।
चीन से पूर्व जावेद जरीफ ने तुर्कमेनिस्तान, भारत और जापान की यात्रा की थी। ईरान के खिलाफ अमेरिका के अधिकतम दबाव के बावजूद ईरान ने अपने प्रमुख ग्राहकों को तेल बेचने का संकल्प लिया है। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने 8 मई को कहा था कि “अमेरिका के संधि से निकलने और प्रतिबंधों को थोपने के प्रतिकार में हम उच्च यूरेनियम और अधिकतम जल को एकत्रित करने के प्रतिबंधों को नजरअंदाज करेंगे।”