अमेरिका ने बुधवार को इराक से अपने सभी कर्मचारियों को तत्काल वापस आने का आदेश दिया था। वांशिगटन ने बुधवार को कहा कि “पारस्परिक लाभ में उन्नति के लिए इराक के साथ साझेदारी करने के लिए हम सदैव प्रतिबद्ध है। हम इराक में बढ़ते हे खतरे को देख रहे हैं और इसे हमने माइक पोम्पिओ की 7 मई की यात्रा और कई अवसर पर इराकी सरकार के साथ साझा किया था राज्य सचिव ने इराक में मौजूद वांशिगटन के कर्मचारियों को वापस बुलाने के आदेश देने का निर्णय किया था।”
इराक के साथ साझेदारी को प्रतिबद्ध
उन्होंने कहा कि “मिशन इराक के समक्ष इराक में अमेरिकी नागरिकों को आपातकालीन सुविधा मुहैया करने की क्षमता सीमित है। अमेरिका की सरकार के सैनिको और अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करना व अपने ठिकानों की रक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
प्रवक्ता ने कहा कि “हम हमेशा इराक के साथ पारस्परिक लाभ में उन्नति के लिए साझेदारी को प्रतिबद्ध है।” अमेरिका की मीडिया के मुताबिक, इराक से अमेरिकी कर्मचारियों की वापसी का फैसला मध्य पूर्व में तनाव के बढ़ने के कारण लिया गया है। डोनाल्ड ट्रम्प ने क्षेत्र में ईरान और उसके सहयोगियों के द्वारा अमेरिकी सेना के खिलाफ खतरे की सम्भावना के बाबत चेतावनी दी थी।”
ईरान-अमेरिका तनाव
बीते हफ्ते अमेरिका ने मध्य पूर्व में एक जंगी विमान और एक परमाणु बमवर्षक की तैनाती की मंज़ूरी दी थी। साथ ही पेट्रियट मिसाइल बैटरी और युद्धपोत की तैनाती भी की है। पेट्रियट प्रणाली एयरक्राफ्ट और मिसाइल से सुरक्षा करता है जबकि युद्धपोत में पनडुब्बियां और एयरक्राफ्ट भेजे जाते हैं।
अमेरिका और ईरान के बीच कूटनीतिक सम्बन्ध काफी खराब होते नजर आ रहे हैं। वांशिगटन ने ईरान की रेवोलूशनरी गार्ड् कॉर्प्स को विदेशी आतंकी संगठन का दर्जा दे दिया था और साथ ही आठ देशों को ईरान से तेल खरीदने की रिआयत में वृद्धि करने से भी इंकार कर दिया था।
अमेरिका बीते वर्ष साल 2015 में हुई परमाणु संधि से बाहर निकल गया था और ईरान पर सभी कड़े प्रतिबंधों को वापस थोप दिया था। इस निर्णय पर डोनाल्ड ट्रम्प की काफी आलोचनाएं हुई थी।