ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर सोमवार को नई दिल्ली पंहुच गए हैं। वह इस यात्रा में मंगलवार को वह जवाहरलाल नेहरू भवन में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात करेंगे। यह मुलाकात अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के दौरान हुई है।
परमाणु संधि तोड़ी
वांशिगटन ने गत वर्ष साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़ दिया था और ईरान पर प्रतिबंधों पर वापस थोप दिया था। इससे तेहरान के तेल और बैंकिंग प्रणाली काफी प्रभावित हुई थी। अमेरिका ने विश्व के देशों को छह महीने तक ईरान से तेल खरीदने की रियायत दी थी। जिसकी अंतिम समयसीमा 2 मई थी।
हाल ही में अमेरिका ने ऐलान किया कि अब वह किसी मुल्क को ईरान से कच्चा तेल खरीदने की अनुमति प्रदान नहीं करेगा, जो भी देश ईरान के साथ खरीद-फरोख्त करता है उसे प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। अमेरिका का मकसद ईरान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी क तोडना है ताकि सरकार पर परमाणु कार्यक्रम को बंद करने के लिए दबाव बनाया जा सके।
कच्चा तेल का निर्यात बंद
रिआयत पाने वाले देशों में चीन, भारत, ग्रीस ताइवान और इटली समेत आठ देश थे। हालाँकि कुछ देशों ने ईरानी तेल का आयात शून्य कर दिया है। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव में वृद्धि के बीच पेंटागन ने शुक्रवार को मध्य पूर्व में पेट्रियट मिसाइल डिफेन्स बैटरी और नौसेना के जहाज की तैनाती की मंज़ूरी दे दी है।
हाल ही में अमेरिका ने मध्य पूर्व में यूएसएस अब्राहम लिंकन कर्रिएर स्ट्राइक ग्रुप और एक बमवर्षक सेना की तैनाती की थी। ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने रविवार को कहा कि “तेहरान अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों से अभूतपूर्व दबाव झेल रहा है और देश आर्थिक स्थिति इराक के साथ साल 1980-88 की जंग के दौर से ज्यादा बुरी है।”
ईरानी और भारतीय विदेश मंत्री की वार्ता
भारत आगमन के बाद ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि “अमेरिका तनावग्रस्त हालातो को फिजूल ही बढ़ा रहा है। हम तनाव नहीं बढ़ाना नहीं चाहते हैं लेकिन हम हमेशा आत्मरक्षा के लिए तैयार रहेंगे।”