नई दिल्ली, 13 मई (आईएएनएस)| बालाकोट हवाई हमले पर अपनी ‘बादल थ्योरी’ के लिए ट्रोल होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को अपने बयान के लिए एक बार फिर राजनेताओं और ट्विटर यूजर्स के निशाने पर आ गए। मोदी ने कहा था कि वह 1987-88 के दौरान अपने मेंटर और पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी का फोटो कम समय में भेज दिया था।
न्यूजनेशन टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार के दौरान एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा, “शायद 1987-88 के दौरान मैं पहला व्यक्ति रहा होऊंगा जिसने डिजिटल कैमरे का प्रयोग किया था और उस समय बहुत कम लोग ईमेल करते थे। गुजरात के विरामगम में आडवाणीजी की रैली थी और मैंने अपने डिजिटल कैमरे से उनका फोटो खींचा था..मेरे पास वह उस समय था। तब मैंने इस फोटो को दिल्ली भेजा और अगले दिन यह फोटो रंगीन प्रकाशित हुई। आडवाणीजी आश्चर्यचकित रह गए कि कैसे रंगीन फोटो प्रकाशित हो गई।”
साक्षात्कार के इस भाग पर पहले किसी का ध्यान नहीं गया था और बाद में यह सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। ट्विटर पर लोगों ने प्रधानमंत्री के दावे का मजाक उड़ाया तो नेताओं ने इस बहाने उनपर निशाना साधा।
सोशल मीडिया यूजर्स ने बताया कि पहला डिजिटल कैमरा 1987 में निकोन ने बेचा था और पेशेवर ईमेल की शुरुआत 1990-95 में हुई थी।
एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, “पीएमओइंडिया के पास बटुआ नहीं था, क्योंकि पैसे नहीं थे लेकिन 1988 में डिजिटल कैमरा और ईमेल था?”
कांग्रेस सांसद राजीव साटव ने कहा कि प्रधानमंत्री डिजिटल कैमरा और ईमेल सेवा का प्रयोग करने की तब बात कर रहे हैं जब भारत में इसका आगमन भी नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा, “सुशासन देने में विफल होने के बाद, मोदीजी अपने रिसर्च में भी फेल हो गए और लोगों को बेवकूफ बनाने की हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। मोदीजी उस प्रसिद्ध कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं कि ‘पुरानी आदतें, मुश्किल से जाती हैं।’ ”
इस पर माकपा के सांसद मोहम्मद सलीम ने कहा, “मोदी कहते हैं कि उनके पास 1987-88 में डिजिटल कैमरा था और 1988 में ईमेल खाता था। उन्होंने भारत में 1988 में ईमेल के जरिए कलर फोटो भेजी।”
स्वीडन के उप्पसाला विश्वविद्यालय में पीस एंड कंफ्लिक्ट के प्रोफेसर अशोक स्वैन ने ट्वीट कर कहा, “मोदी और उनके भक्त कहा करते हैं कि 2014 में मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने से पहले कोई भारत नहीं था। तब फिर कैसे मोदी के पास 1988 में निजी ईमेल खाता था जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे? यहां तक कि स्वीडिश विश्वविद्यालयों में, हमें हमारा निजी ईमेल खाता 1993 में ही मिल पाया था।”
इससे पहले प्रधानमंत्री बालाकोट हवाई हमले के दौरान बादल घिरे होने और बरसात होने की स्थिति में हवाई हमले का आदेश देने के दावे को लेकर ट्रोल हो चुके हैं।
उन्होंने कहा था, “खराब मौसम की वजह से विशेषज्ञ हवाई हमले के बारे में दोबारा सोच रहे थे। लेकिन मैंने कहा कि अत्यधिक घिरे बादल और बारिश लाभदायक हो सकते हैं। हो सकता है हम उनके रडार से बच जाएं। मैंने कहा था इससे निश्चित ही फायदा होगा। मैंने कहा था बादल घिरे हुए हैं, कृपया आगे बढ़िए।”