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    आरबीआई क्लीन नोट पॉलिसी

    हाल में ही फेसबुक और व्हाट्सएप के जरिए झूठी खबर फैलाई जा रही थी कि 500 और 2000 रूपए के ऐसे नोट चलन में नहीं होंगे, यदि इन पर पेन से कुछ भी लिखा हो। आपको बता दें कि कुछ बैंकों ने अपने कार्यालयों में बकायदा यह नोटिस चस्पा रखी थी कि 2000 रूपए और 500 रूपए के नोटों पर यदि पेन से कुछ भी लिखा हुआ है, तो इन नोटों को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

    अगर इस तरह के नोट आपके पास भी हैं, तो चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि ऐसे नोट अब बैंक खाते में जमा करवाएं जा सकते हैं। यदि कोई भी बैंक ऐसे नोटों को लेने से मना करता है तो, उनके खिलाफ कानूनी कारवाई की जा सकती है। दरअसल इस मामले में आरबीआई यानि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यह स्पष्ट निर्देश जारी किया है कि उसने अपने बैंकों को ऐसा कोई निर्देश नहीं दे रखा है कि, नोटों पर यदि कुछ लिखा हो तो इन्हें वापस नहीं लिया जाएगा।

    आरबीआई का कहना है कि-हमने लोगों से केवल यही अपील की है कि नोटों पर ना ही कुछ लिखें, ना ही फोल्ड करें और ना ही इन्हें स्टेपल करें। सूचना अधिकार अधिनियम के तहत एक प्रश्न के जवाब में रिजर्व बैंक ने कहा कि केवल वहीं नोट अमान्य होंगे जिन पर पेन या फिर पेंसिल से धार्मिक और राजनीतिक संदेश लिखें होंगे। आप को बता दें कि जुलाई 2013 में आरबीआई ने अधिसूचना जारी कर कहा कि राजनीतिक संदेश या फिर नारे वाले नोटों के लिए कानूनी निविदा बंद है। 2014 में ही आरबाआई ने एक परिपत्र जारी कर कहा था, लोग ऐसी अफवाहों पर बिल्कुल ध्यान नहीं दें कि गंदे नोटों को बैंक वापस नहीं लेंगे।

    आरबीआई की क्लीन नोट नीति

    रिजर्व बैंक ने 1999 में क्लीन नोट नीति से अवगत कराने की योजना बनाई। जिसके तहत बैंक समय-समय पर लोगों से यह आग्रह करता रहा है कि कृपया नोटों पर कुछ भी ना लिखें। ग्राहकों की सुविधा को देखते हुए रिजर्व बैंक देश के सभी बैंकों को कटेफटे अथवा विकृत नोटों के लेनदेन की सुविधा प्रदान करता है।

    यहां तक कि नोटों की जीवन अवधि बढ़ाने के संबंध में आरबीआई ने 2002 में एक परिपत्र जारी किया जिसके अनुसार यह कहा गया कि नोट बंडलों को स्टेपल ना करें बल्कि इनकी बैंडिंग शुरू करें।  इससे अलग जुलाई 2016 में आरबीआई ने एक मास्टर परिपत्र जारी कर कहा कि क्लीन नोट पॉलिसी के तहत बैंक शाखाओं के लिए दंड का प्रावधान किया जो नोटों और सिक्कों को जमा करते समय ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान नहीं करती हैं।

    रिजर्व बैंक ने अपने इस परिपत्र में कहा कि अगर कोई भी बैंक शाखा किसी भी ग्राहक से गंदे नोट लेने से मना करती है, तो ऐसे बैंकों को बतौर जुर्माना दस हजार रूपए का दंड निर्धारित किया गया है। हां इस संबंध में कुछ प्रतिबंध जरूर हैं, जुलाई 2016 के आरबीआई के परिपत्र के अनुसार यदि आप 20 से अधिक नोट्स या प्रतिदिन 5000 रुपए मूल्य के नोटों एक्सचेंज करते हैं, तो बैंक सेवा शुल्क ले सकते हैं।

    अब बैंककर्मियों और कस्टमर्स में नहीं होगी तकरार

    अक्सर हम सब कटेफटे और गंदे नोटों के जमा करने को लेकर बैंककर्मियों और जमाकर्ताओं के बीच तकरार होते देखते हैं। इससे बैंक के अन्य कस्टमर्स की सेवाएं भी बाधित होती है। लेकिन बैंकों में अब ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलेगा। क्योंकि आरबीआई ने नोट रिफंड रूल के तहत स्पष्ट निर्देश दे रखा है कि बैंक केवल उन्ही नोटों को लेने से मना कर सकते हैं जिन पर धार्मिक और राजनीतिक संदेश लिखा है।