कोलकाता, 7 मई (आईएएनएस)| वे पोलिंग एजेंट हैं, यहां तक तो ठीक है, लेकिन समस्या तब खड़ी होती है जब पता चलता है कि उन्हें अपने उम्मीदवार का नाम तक याद नहीं है जिसके लिए उन्हें वहां नियुक्त किया गया है।
यह विचित्र घटना सोमवार को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण के मतदान के दौरान हावड़ा लोकसभा क्षेत्र में शिवपुर विधानसभा में एक मतदान केंद्र पर घटित हुई।
बूथ संख्या 157 पर जब मीडिया के लोग आए, तो उन्होंने पाया कि वहां तृणमूल कांग्रेस का पोलिंग एजेंट मौजूद है। उनके साथ निर्दलीय उम्मीदवारों के कुछ अन्य पोलिंग एजेंट भी उपस्थित थे।
कहानी में मोड़ तब आया जब मीडियाकर्मियों ने वहां एक मध्यम आयु की महिला पोलिंग एजेंट से बात की। उससे जब पूछा गया कि वे किस उम्मीदवार की एजेंट हैं तो वे कोई जवाब नहीं दे पाईं।
इसके बाद शर्मिदा होते हुए महिला अपने बगल में बैठे एजेंट से उसका नाम पूछने लगी, “उसका क्या नाम है?” हालांकि, वह शख्स भी उसकी मदद नहीं कर पाया।
जब संवाददाता ने महिला से पूछा कि क्या उन्हें उम्मीदवार का नाम पता हैं, तो महिला बुदबुदाई, “हा, पता है।” लेकिन फिर भी वह अपने उम्मीदवार का नाम नहीं बता पाई।
एक अन्य निर्दलीय उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट ने स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया कि उसे उम्मीदवार का नाम याद नहीं है।
विपक्ष के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि दोनों लोग वास्तव में तृणमूल के कार्यकर्ता थे, जो डमी उम्मीदवार के एजेंट के तौर पर बूथ में प्रवेश कर गए थे। उन्होंने आरोप लगाया कि डमी उम्मीदवार भी स्थानीय तृणमूल कार्यकर्ता हैं।
उन्होंने कहा, “इसमें कुछ नया नहीं है। यह दशकों से चल रहा है। बूथ पर अधिक से अधिक अपने कार्यकर्ताओं को मौजूद रखने के लिए पहले वाम इस तकनीक का सहारा लेता था, अब तृणमूल वही काम कर रही है।”