अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने तालिबान से सरकार द्वारा दिए रमजान संघर्षविराम प्रस्ताव को स्वीकार करने का आग्रह किया है ताकि जंग से जूझ रहे देश में शांति और सुलह प्रक्रिया के प्रयासों में तीव्रता आ सके। अफगानी शान्ति के लिए अमेरिकी अधिकारी तालिबान से बातचीत के लिए दोहा में हैं।
उन्होंने कहा कि “यह संघर्षविराम प्रस्ताव भव्य परिषद् की तरफ से हैं।” शान्ति के बाबत चर्चा के लिए आयोजित लोया जिरगा में 3200 प्रतिनिधियों ने शिरकत की थी। रमजान का पाक माह शान्ति और सुलह का महीना है।
टोलो न्यूज़ के हवाले से अशरफ गनी ने कहा कि “मैं दोबारा तालिबान से इस पाक महीने की इज्जत करने की मांग करता हूँ और अफगान नागरिकों की शान्ति और सुलह की मांगो को सम्बोधित करने को कहता हूँ जो भव्य आयोजन में सहमति से की गयी थी।”
उन्होंने कहा कि “मैं जनता को सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि शान्ति का प्रस्ताव जिगरा सरकार की नीति का महत्वपूर्ण भाग है।” बीते हफ्ते तालिबान ने अशरफ गनी द्वारा दिए संघर्षविराम प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। चरमपंथी समूह ने कहा कि “वह जिहाद को नहीं रोकेंगे और रमजान के पाक माह के दौरान यह अत्याधिक फायदेमंद होगा।”
संघर्षविराम प्रस्ताव को तालिबान द्वारा खारिज करने पर अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय खलिलजाद ने अफ़सोस व्यक्त किया था। उन्होंने तालिबान को हथियार डालने और शान्ति प्रक्रिया की तरफ बढ़ने के प्रयासों के तहत हिंसा को रोकने की मांग की थी।
उन्होंने ट्वीट कर कहा कि “किसी भी शान्ति प्रक्रिया का परिणाम हथियारों को त्यागना है और इस परिणाम को हासिल करने के लिए सभी पक्षों को हिंसा कम करने की तरफ जरुरी कदम उठाना होगा और यह नैतिक जिम्मेदारी है। हम हमेशा तैयार है।”
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा था कि “ख़लीलज़ाद को हथियार गिराने के विचार को भूल जाना चाहिए। ऐसी कल्पनाये करनेकी बजाये उन्हें ताकत का इस्तेमाल करने पर रोक और काबुल प्रशासन के मानवीय व वित्तीय निकसान सहने के लिए तैयार होना चाहिए।”
बीते वर्ष तालिबान ने ईद उल फ़ित्र के मौके पर अफगान सरकार के साथ तीन दिन के संघर्षविराम का हैरतअंगेज़ ऐलान किया था।