भोपाल, 6 मई (आईएएनएस)| समाजवादी नेता और लोकक्रांति अभियान के संयोजक गोविंद यादव ने कहा कि देश के आम चुनाव को अमेरिकी पद्धति पर लाने की चल रही कोशिशों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ कांग्रेस भी जिम्मेदार है। दोनों ही दलों ने अपने लाभ के लिए इस चुनाव को नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी बनाया है।
मध्य प्रदेश के प्रवास पर आए यादव ने सोमवार को आईएएनएस से कहा, “भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने बीते पांच सालों में देश के लिए ऐसा कुछ नहीं किया, जिसके आधार पर उसे दोबारा वोट मिले। यही कारण है कि भाजपा ने राष्ट्रवाद का सहारा लिया और मोदी को विपक्ष के मुकाबले सक्षम नेतृत्व बताया जा रहा है।”
यादव ने कहा, “कांग्रेस के रणनीतिकार राहुल गांधी को स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं, यही कारण है कि कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर तमाम राजनीतिक दलों से समझौता नहीं किया, गठबंधन नहीं बनने दिया। राज्य स्तर पर जरूर गठबंधन किया। रणनीतिकार किसी तरह राहुल को राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करना चाहते थे, इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन उनके लिए बड़ी बाधा बनता नजर आ रहा था और उसी का नतीजा रहा कि राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन नहीं हो पाया।”
एक अन्य सवाल के जवाब में यादव ने कहा, “भाजपा की कोशिश रही है कि मोदी की ओर से कांग्रेस के राहुल गांधी को निशाना बनाया जाए और राहुल को कमजोर सिद्ध किया जाए। वहीं कांग्रेस का लक्ष्य राहुल को स्थापित करने का था। इसी का नतीजा रहा कि यह चुनाव मोदी बनाम राहुल हो गया।”
उन्होंने आगे कहा, “देश में सात राष्ट्रीय और 26 क्षेत्रीय दल हैं, राष्ट्रीय दलों में गठबंधन होता तो भाजपा को आसानी से रोका जा सकता था, क्योंकि उसके खिलाफ देशव्यापी असंतोष है, मगर कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन ही नहीं बनने दिया। राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन होने से कांग्रेस को इस बात का डर था कि राहुल गांधी को वह महत्व नहीं मिल पाता जो उसे अलग-अलग स्थानों पर गठबंधन करने से मिलेगा। इसका लाभ भाजपा को होने की संभावना से नहीं नकारा जा सकता।”
लोकसभा चुनाव के मोदी बनाम राहुल होने की चर्चा करते हुए यादव ने कहा, “भाजपा तो चाहती है कि अमेरिकी पद्धति से भारत में भी चुनाव होने लगे, यहां मतदान सांसद नहीं बल्कि प्रधानमंत्री के लिए मांगा जाए, जिसमें वह काफी हद तक सफल भी हो रही है और कांग्रेस ने चाहे-अनचाहे उसका साथ दे दिया।”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस का लक्ष्य राहुल को स्थापित करना है और उसके लिए वह किसी भी हद तक जाने को तैयार है जो इस चुनाव में दिख भी रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन होता तो तस्वीर ही कुछ और होती। उत्तर प्रदेश और बिहार गठबंधन की प्रयोगशाला रही है, वहां भी गठबंधन नहीं हो पाया। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस अलग है तो बिहार में वामपंथी दल।”