चीन ने हाल ही में कहा है कि वो ब्रह्मपुत्र नदी के बजाय तिब्बती नदियों पर अधिक बांध बनाएगा। पहले चीन की योजना ब्रह्मपुत्र पर बांध निर्माण को लेकर थी। चीनी सरकार तिब्बत में कई जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कर रही है।
इसी क्रम में चीन ने कहा है कि उसने अपने प्रांतों के करीब नदियों पर बांध निर्माण पर ध्यान देने की योजना बनाई है। साथ ही कहा कि वो ब्रह्मपुत्र पर कोई बांध नहीं बना रहा है। गौरतलब है कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बांध बनाने को लेकर भारत ने चिंता जताते हुए आपत्ति दर्ज करवाई थी।
पहले मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा था कि चीन, तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी से अरुणाचल प्रदेश के करीब झिंजियांग क्षेत्र में पानी को हटाने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाने की योजना बना रहा था। लेकिन इन खबरों को चीन ने अफवाह व झूठी करार दिया था। चीन व तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी को यारलंग टीसांगपो के रूप में जाना जाता है।
भारत ने दर्ज कराई थी आपत्ति
भारत ने चीन को ब्रह्मपुत्र नदी पर निर्मित विभिन्न बांधों के बारे में अपनी आपत्ति दर्ज करवाई थी। जिसके बाद अब मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी में नहीं बल्कि तिब्बती नदियों पर बांध बनाएगा।
जिंशा, लेनकांग और नुजियांग नदियां तिब्बत की विशाल जल विद्युत क्षमता के साथ प्रसिद्ध जलमार्ग है। ये नदियां भारत के माध्यम से नहीं चलती है। इसलिए अब संभावना है कि चीन भारत की ब्रह्मपुत्र नदी के बजाय इन तिब्बत के पास की नदियों पर बांध बनाने पर जोर देगा।
तिब्बत जल संसाधनों के शोषण में तेजी लाने और आर्थिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों को अतिरिक्त जल विद्युत परियोजना से बेचकर आर्थिक विकास का एक नया स्रोत बनाना चाहता है।
ये बांध चीनी प्रांतो और तिब्बत की सीमा क्षेत्र के करीब स्थित है। पहले भी साल 2014 में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की तरफ से झांगमु बांध आशिंक रूप से शुरू किया गया था। लेकिन भारत ने इसका विरोध किया था।