Mon. Nov 25th, 2024
    crpf

    नई दिल्ली, 2 मई (आईएएनएस)| केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई में हताहत होने का सामना करना पड़ता है, लेकिन दिल के दौरे, अवसाद व मच्छर जनित बीमारियां जैसे मलेरिया व डेंगू भी अर्धसैनिक बलों में मौतों का बहुत बड़ा कारण हैं।

    एक आधिकारिक आंकड़े में यह जानकारी सामने आई है।

    सीआरपीएफ कर्मियों की इन कारणों से मौत नक्सली हमले में मारे गए कर्मियों की तुलना में 15 गुना ज्यादा है।

    आंकड़ों के अनुसार, एक जनवरी 2016 से 30 जुलाई 2018 के बीच कुल 1,294 सीआरपीएफ जवानों की मौत अवसाद, दिल के दौरे, आत्महत्या, मलेरिया या डेंगू व अन्य कारणों से हुई। हालांकि, इस अवधि के दौरान नक्सली हमले में अर्धसैनिक बल के सिर्फ 85 कर्मी मारे गए।

    सीआरपीएफ के 1,294 कर्मियों में से 416 की मौत 2016, 635 की 2017 में और 30 जुलाई 2018 कर 183 मौतें हुईं।

    साल 2016 में 92 कर्मियों की मौत दिल के दौरे की वजह से हुई, पांच की मलेरिया व डेंगू की वजह से और 26 ने अवसाद की वजह से आत्महत्या कर ली और 352 की मौतें अन्य कारणों से हुईं।

    साल 2017 में दिल के दौरे, मच्छर जनित बीमारियों (मलेरिया व डेंगू), अवसाद की वजह से आत्महत्या व दूसरे वजहों से क्रमश: 156, छह, 38 व 435 मौतें हुईं। मौतों में इस तरह इजाफा हुआ है।

    साल 2018 में (30 जुलाई तक) दिल के दौरे की वजह से 39, मलेरिया व डेंगू (एक), अवसाद की वजह से आत्महत्या (19) व अन्य कारणों से (124) मौतें हुईं।

    हालांकि, नक्सली हमले में मारे गए सीआरपीएफ कर्मियों की संख्या 2016 है, जिसमें 31, 2017 में से 40 व 2018 में से 14 (एक जनवरी, 2018 व 30 जुलाई, 2018 के बीच) दर्ज है।

    साल 2016 में बिहार में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 11, छत्तीसगढ़ में 18 व झारखंड में दो कर्मी मारे गए। अर्धसैनिक बल में कर्मियों की मौतों की संख्या 2017 में बढ़कर 40 हो गई। इसमें से 39 की छत्तीसगढ़ में और एक की महाराष्ट्र में मौत हुई।

    साल 2018 में बिहार में सीआरपीएफ के एक जवान, झारखंड में दो व छत्तीसगढ़ में 11 की मौत हुई।

    सीआरपीएफ 3,5 लाख जवानों का मजबूत बल है। इसे नक्सल प्रभावित राज्यों व जम्मू एवं कश्मीर में आंतरिक सुरक्षा का कार्य सौंपा गया है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *