Mon. Dec 23rd, 2024
    चुनाव में बीजेपी करेगी 'मन की बात चाय के साथ

    चुनाव के दरमियान शराब बांटकर मत मांगने के किस्से तो आप सुनते ही आए होंगे और जानते भी होंगे कि हर चुनाव में शराब अपने आप में महत्वपूर्ण होती है। लेकिन गुजरात के विधानसभा चुनाव में हमें बहुत कुछ नया देखने को मिल रहा है। यहां चुनाव शराब के बल पर नहीं, बल्कि चाय के बल पर जीतने की तैयारी हो रही है।

    जितनी बैचेनी शराब बांटने की ख़बरों के कारण राजनीतिक गलियारों में होती है, उतनी ही बैचेनी इस वक्त चाय बांटने की खबर से राजनीतिक गलियारों में हो रही है। बीजेपी गुजरात के पचास हजार बूथों पर ‘मन की बात चाय के साथ’ कार्यक्रम शुरू करने जा रही है। माना जा रहा है कि इस कार्यक्रम से बीजेपी कार्यकर्ता राज्य के बूथों पर जाकर लोगों को बीजेपी की उपलब्धियों के प्रति जागरूक करेंगे।

    इस कार्यक्रम को चुनाव के पहले चरण तथा उसके पश्चात दूसरे चरण से शुरू किया जाएगा। गौरतलब है कि चाय पर बीजेपी का कॉपीराइट माना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी अपने भाषणों में खुदको चाय वाला बताने से नहीं चूकते। चाय की राजनीति शराब के मुकाबले सस्ती लेकिन प्रभावी राजनीति मानी जा रही है।

    आम आदमी की जिंदगी का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुकी चाय इस चुनाव में बहुत खास है। वैसे चाय को आधार बनाकर बीजेपी पहले भी चुनाव लड़ चुकी है और जीत भी चुकी है। 2014 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से बीजेपी ने ‘चाय पर चर्चा’ के जरिये पार्टी का प्रचार-प्रसार किया था उससे पूरा माहौल बीजेपीमय हो गया था।

    इस चुनावी चाय का रंग और भी गाढ़ा इसलिए माना जा रहा है क्यूंकि इसका नाम मोदी के ”मन की बात” की तर्ज पर रखा गया है। हर महीने के आखिरी सोमवार को रेडियो से प्रसारित होने वाले कार्यक्रम मन की बात से प्रधानमंत्री मोदी पुरे देश से जुड़ते है।

    अब यह बात देखने वाली है कि ‘चाय पर चर्चा’ की तरह ही क्या ‘मन कि बात चाय के साथ’ को जनता का समर्थन मिलेगा या फिर नहीं।