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    अमेरिका और अफगानिस्तान

    अमेरिका की सेना अब अफगानिस्तान में तालिबान के साथ जंग की सूचना सार्वजनिक नहीं करेगी। हालिया वर्षों में जंग के बाबत थोड़ी ही सूचना को साझा किया गया है और यह सब अफगान सरकार के आग्रह पर किया गया है। उन्होंने पूर्व में अमेरिकी सेना को अफगानी जंग में मारे गए नागरिकों की संख्या को उजागर करने से रोका था।

    आंकड़ों की स्थिति

    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इसके बाबत तीखे शब्द कहे थे कि अमेरिका जंग के बाबत अत्यधिक सूचना साझा कर रहा है। हालाँकि इसके कोई सबूत नहीं है कि उनके निर्णय से प्रभाव हुआ है। अमेरिकी जंग के प्रयासों पर निगरानी रखने वाले विभाग ने बताया कि अब 18 वें वर्ष में काबुल में अमेरिकी सैन्य कमांड ने जिला नियंत्रण आंकड़ों को मुहैया नहीं किया है। साथ ही उनकी जनसँख्या के प्रतिशत और तालिबान के मुकाबले सरकार के नियंत्रण का डाटा भी मुहैया नहीं किया है।

    पिछली बार सरकार ने जनवरी में आंकड़े जारी किये थे जिसके तहत अफगान सरकार का नियंत्रण कमजोर होता जा रहा है। अफगान सरकार के नियंत्रण या प्रभाव में मई 2017 से जुलाई 2018 में कोई खासा परिवर्तन नहीं आया है और इसमें अक्टूबर 2018 में 63.5 की कमो आयी थी। सरकार का जिलों पर नियंत्राण और प्रभाव में दो फीसदी की कमी आयी थी।

    जनरल जॉन निचोलसन ने नवंबर 2017 में पत्रकारों से कहा कि “वह आंकड़ों को देखना चाहते हैं, अफगान सरकार का नियंत्रण 80 फीसदी पर पंहुच गया है जबकि तालिबान का नियंत्रण 10 प्रतिशत पर है। दुश्मन को असंगत करने के लिए आवाम का होना बेहद महत्वपूर्ण है।”

    तालिबान का प्रसार

    जनरल स्कॉट मिलर के मुताबिक, आवाम के समक्ष ऐसे पर्याप्त मूल्याङ्कन उपलब्ध है। हमारा ध्यान राजनीतिक सुलह के लिए हालातो को तय करना है ताकि अपने राष्ट्र हितो का संरक्षण कर सके। डीओडी द्वारा पिछली बार मुहैया किया जिला स्थिरता आंकलन निरर्थक है और यह हमारे अभियान में नागरिकों और सहयोगियों की रक्षा के लिए बेहद कम सहायता करता है।

    अफगानी जंग बेहद संवेदनशील मामला है और अमेरिकी राष्ट्रपति ने तालिबान के साथ शान्ति वार्ता की शुरुआत के लिए काफी दबाव बनाया था। स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल फॉर अफगानिस्तान रिकंस्ट्रक्शन और सिगार ने रिपोर्ट में कहा कि “मिलर की कमांड ने जिला नियंत्रण डाटा मुहैया न करने का प्रस्ताव दिया था क्योंकि आंकड़ों को जुटाने के तरीके पर संदेह था।”

    स्पेशल इंस्पेक्टर जनरल जॉन सोप्को ने सैन्य विभागों द्वारा आंकड़ों को सार्वजानिक न करने की आलोचना की है जो अफगानी सैनिको को सलाह, प्रशिक्षण और सहायता करते हैं। उन्होंने कहा कि “मुझे नहीं लगता कि इसका कोई तुक बनता है। अफगानी जनता को मालूम है कि कौन सा जिला तालिबान के नियंत्रण में हैं, तालिबान को भी मालूम है और हमारी सेना भी जानती है। सिर्फ इसके लिए कीमत अदा करने वाले लोग ही इस बाबत जानकारी नहीं रखते हैं और वो अमेरिकी करदाता है।”

    सूचना साझा करने के लिए जनवरी ने डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने ही प्रशासन की आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि “वहां कुछ आईजी को राष्ट्रपति ओबामा ने किया हमारे पास अधिकारी है और वे हर एक चीज की रिपोर्ट साझा करेंगे और इसके बाद इसे सार्वजनिक किया जायेगा।”

    डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि “यह क्या तरीका है, हम जंग लड़ रहे हैं और वे रिपोर्ट्स तैयार कर रहे हैं और इसे सार्वजानिक कर रहे हैं। सार्वजानिक करना मतलब अपने दुश्मनो को बताना। दुश्मन उस रिपोर्ट को पढ़ते हैं और हर एक अध्ययन करते हैं।”

    पेंटागन का इस वर्ष का अफगानी सेना और पोलिका का बजट 4.9 अरब डॉलर है और साल 2001 से वांशिगटन में 132 अरब डॉलर की सहायता की हैं। जंग में अमेरिका ने 737 अरब डॉलर खर्च किये हैं और 2400 सैनिको को गंवाया है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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