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    सुप्रीम कोर्ट जेपी ग्रुप

    जेपी समूह के डायरेक्टर की मुश्किलें बढती नजर आ रही हैं। नॉएडा के पास जेपी समूह के एक प्रोजेक्ट में लगभग 32000 लोगों ने अपना पैसा लगाया है, लेकिन लोगों को अबतक घर नहीं मिलें हैं।

    इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर में कंपनी को 2000 करोड़ रूपए देने को कहा था, जिससे प्रभावित हुए लोगों के पैसे लौटाए जा सकें।

    सुप्रीम कोर्ट ने आज जेपी ग्रुप के 13 डायरेक्टर को आदेश दिए है कि वे अपनी निजी संपत्ति को बेच नहीं सकते हैं। इसके अलावा अदालत ने कंपनी को 14 दिसम्बर तक 150 करोड़ रूपए और 31 दिसम्बर तक 125 करोड़ रूपए जमा करने को कहा है। यदि समूह 31 दिसम्बर तक 275 करोड़ रूपए जमा नहीं करता है, तो उसपर कड़ी कानूनी कार्यवाई हो सकती है।

    चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली बेंच ने कंपनी के डायरेक्टर को आगे आदेश दिए हैं, कि वे अपने परिवार के सदस्यों की संपत्ति को बेच नहीं सकते। यदि डायरेक्टर किसी भी तरह के नियम का पालन नहीं करते हैं, तो उनपर कानूनी कार्यवाई हो सकती है।

    इसके साथ ही अदालत ने एक ऐसे वेब पोर्टल बनाने को कहा है जिनमे जेपी ग्रुप से प्रभावित हुए लोगों के घर खरीदने आदि की पूरी जानकारी हो। इसके लिए अदालत ने पवन श्री अगरवाल को एक सप्ताह का समय दिया है।

    जेपी ग्रुप के डायरेक्टर की ओर से आये वकील मुकुल रोहतागी और रणजीत कुमार ने बताया कि उन्होंने डायरेक्टर की निजी संपत्ति की जानकारी देते हुए जरूरी दस्तावेज जमा कर दिए हैं।

    वरिष्ट वकील कपिल सिब्बल ने कंपनी का पक्ष लेते हुए कहा है कि कंपनी को पैसे जमा करने के लिए उपर्युक्त समय मिलना चाहिए, वर्ना कंपनी बंद हो सकती है।

    इसके बाद अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए 10 जनवरी की तारीख दी है। अदालत ने सभी डायरेक्टर को उस दिन पेश होने के आदेश दिए हैं।

    आपको बता दें इस मामले में चित्रा शर्मा नामक एक ग्राहक ने सुप्रीम कोर्ट में यह केस दर्ज किया था कि करीबन 32000 लोगों ने घर खरीदा था, और अब किश्त भी दे रहे हैं। इसके बावजूद लोगों को घर नहीं मिल रहे हैं।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।