सूरत, 26 अप्रैल| सूरत सत्र न्यायालय ने शुक्रवार को स्वयंभू संत आसाराम के बेटे नारायण साई को 2013 के दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराया। उसे सजा 30 अप्रैल को सुनाई जाएगी।
सूरत की दो बहनों ने साई (40) और उसके पिता आसाराम के खिलाफ 2013 अक्टूबर में दुष्कर्म की शिकायत दर्ज की थी। इसके बाद हरियाणा के कुरुक्षेत्र के पास पिपली से नारायण साई को दिसंबर 2013 में गिरफ्तार किया गया था।
साई के पिता अशुमल हरपलानी उर्फ आसाराम को पिछले साल राजस्थान में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराया गया था।
खुद को एक धार्मिक व्यक्ति बताने वाले साई पर दोनों बहनों में से एक ने आरोप लगाया था कि जब वह सूरत में 2002 और 2005 के बीच आसाराम के आश्रम में रह रही थे, तब साई ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पीड़ित की बड़ी बहन ने भी 1997 और 2006 के बीच अहमदाबाद आश्रम में रहने के दौरान आसाराम के खिलाफ इसी तरह का आरोप लगाया था।
उन्होंने साई और आसाराम के खिलाफ अलग-अलग शिकायतें दर्ज कराई थीं। पुलिस ने आसाराम और उनके बेटे नारायण साईं पर दुष्कर्म, यौन उत्पीड़न, अवैध कारावास और अन्य अपराधों के आरोप में मामला दर्ज किया था।
मामले में साई के चार सहयोगियों को भी गिरफ्तार किया गया था।
35 व्यक्तियों के खिलाफ दो आरोपपत्र दायर किए गए थे, अभियोजन पक्ष ने 53 गवाह पेश किए और बचाव पक्ष ने 14 गवाह पेश किए थे।
आसाराम और उसके बेटे की गिरफ्तारी के बाद प्रमुख गवाहों पर कई हमले हुए थे। तीन गवाहों की हत्या कर दी गई, जिसमें राजकोट के एक आयुर्वेद चिकित्सक अमृत प्रजापति भी शामिल थे, जिनकी उनके क्लिनिक के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
पूर्व में आसाराम के रसोइए रहे अखिल गुप्ता की उत्तर प्रदेश के उसके गृह नगर मुजफ्फरनगर में गोली मारकर हत्या कर दी गई और उसके अगले ही दिन दूसरे गवाह कृपाल सिंह की भी शाहजहापुर में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
नारायण साई जमानत दिलाने और बरी होने में मदद करने के लिए पुलिस को आठ करोड़ रुपये की रिश्वत देने के प्रयास के आरोप का भी सामना कर रहे हैं।