भारतीय रेलवे मंत्री पियूष गोयल की यदि मानें तो साल 2020 तक भारतीय रेलवे पूरी तरह से विधुत से चलेगी। इसके बाद डीजल इंजन एक तरह से बंद ही हो जाएगा।
दरअसल भारतीय सरकार लगातार देश के परिवहन को विधुत के अंतर्गत लाने की कोशिश कर रही है। एक वरिष्ट रेल अधिकारी के मुताबिक अगले दो सालों में देश की सभी रेल विधुत से चलेंगी। देश में इस समय लगभग 19000 कुल रेल हैं। इससे पहले सरकार ने रेलवे को विधुत के अंतर्गत लाने के लिए 2022 की सीमा तय की थी, जिसे अब 2020 कर दिया है।
रेल मंत्री पियूष गोयल ने विधुतीकरण पर जोर देने के आदेश दिए हैं। रेल मंत्री के मुताबिक ऐसा करने से ना केवल वायु प्रदुषण को रोका जा सकेगा, बल्कि देश को 11000 करोड़ रूपए से ज्यादा का फायदा होगा। यह पैसे इस समय तेल आदि के खरीदने पर खर्च किये जाते हैं।
इस समय भारतीय रेलवे डीजल खरीदने पर लगभग 18000 करोड़ रूपए सालाना खर्च करती है। यदि रेल विधुत से चलायी जाए, तो यह घटकर सिर्फ 9000 करोड़ रह जाता है। ऐसे में रेलवे को बड़ी मात्रा में फायदा हो सकता है।
पियूष गोयल ने एक बयान में कहा, ‘हम देशभर में विधुतीकरण को लागु करने के लिए अनेक योजनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। इसमें खर्चा बहुत कम आता है, और ऐसे में हमें काफी बचत हो सकती है।’
इसके साथ ही एक बड़ा फायदा यह होगा कि यदि डीजल का उपयोग बंद हो सके, तो हमें दुसरे देशों से तेल आयात करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। ऐसे में देश को उर्जा के लिए दुसरे देशों पर निर्भर नहीं पड़ेगा।
आपको बता दें कि पियूष गोयल इससे पहले उर्जा मंत्री थे। उस समय गोयल ने रेलवे को विधुतीकरण करने का प्रस्ताव रखा था। उस समय उर्जा मंत्रालय ने विधुतीकरण का पूरा खर्चा उठाने की भी बात कही थी।
आपको बता दें कि वर्तमान में रेलवे का कुल सालाना खर्चा करीबन 32000 करोड़ रूपए आता है। इसमें से करीबन 18000 करोड़ रूपए का सिर्फ डीजल आता है। यदि रेलवे का विधुतीकरण होता है, तो इसमें बहुत बड़ी मात्रा में बचत की जा सकेगी।
देश में रेलवे को इस समय तेज गति से विधुत के अंतर्गत लाने की कोशिश की जा रही है। पिछले साल से यदि तुलना करें तो पहले एक साल में लगभग 1700 किमी रेलवे का विधुतीकरण किया जा रहा था, लेकिन इस साल यह बढ़कर 4000 किमी प्रति साल हो गया है।
पियूष गोयल ने आगामी केन्द्रीय बजट के उपलक्ष में कहा कि रेलवे को बजट की जरूरत नहीं है। गोयल के मुताबिक, “हमें केंद्र से बजट की जरूरत नहीं है। रेलवे अपने खर्चे को खुद ही भुगत सकती है। अब रेलवे विभिन्न कार्यों जैसे माल ढुलाई और अन्य दक्ष सेवाओं से पैसे कमाने की कोशिश कर रहा है।” गोयल के मुताबिक भारतीय रेल को पैसे की कोई कमी नहीं होगी।