अमेरिका के राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने बुधवार को कहा कि “उत्तर कॉरी के साथ बातचीत टकराव से भरी हुई थी। लेकिन आशा व्यक्त की कि भविष्य में कई मौके मिलेंगे जिस पर हम देश के परमाणु निरस्त्रीकरण के बाबत चर्चा कर सकेंगे। माइक पोम्पिओ उत्तर के प्रति कट्टर रवैया रखते हैं।
सीबीएस के साथ इंटरव्यू में पोम्पिओ ने कहा कि “उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के मंसूबो ने उन्हें सुरक्षा की बजाये खतरे में झोंक दिया है। इससे परिणाम निकला है कि उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन ने देश के परमाणु कार्यक्रम को त्यागने का रणनीतिक निर्णय लिया है या है नहीं।”
उन्होंने कहा कि “यह उस देश के लिए एक नयी पारी की शुरुआत करने की एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने एक लम्बे अरसे से अपनी आवाम से कहा है कि यह परमाणु हथियार उन्हें सुरक्षित रखेंगे। अब उन्हें इन चीजों को हटाने की जरुरत है जो उन्हें खतरे डालती है।”
उन्होंने कहा कि “दोनों पक्षों ने फरवरी म हनोई में डोनाल्ड ट्रम्प और किम जोंग उन के बीच दूसरे शिखर सम्मेलन से काफी कुछ सीखा था।” यह वार्ता अमेरिका द्वारा परमाणु निरस्तीकरण के लिए दबाव डालने और उत्तर कोरिया की प्रतिबंधों से रिआयत मांगने के कारण रद्द हो गया था।
माइक पोम्पिओ ने कहा कि “वहां सिर्फ बातचीत के आलावा काफी पहलुओं पर बातचीत शेष थी। उनकी एक स्थिति थी और हमारी एक स्थिति थी और हम चले गए। हमें उम्मीद है हम कर सकते हैं। हम दोनों पक्षों के लिए सही समझौता करने के लिए ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और इसलिए हम अपना उद्देश्य प्राप्त कर सकते हैं। यह बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। मुझे उम्मीद है कि इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए हमें गंभीर बातचीत करने के अधिक अवसर मिलेंगे।”
वियतनाम सम्मेलन के बाद दोनों पक्षों के बीच प्रत्यक्ष रूप से बातचीत के कोई संकेत नहीं मिले हैं। हालाँकि पोम्पिओ के मुताबिक वह आगे बढ़ाने की प्रक्रिया पर बातचीत कर रहे हैं। बुधवार को उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन रूस की यात्रा पर गए हैं। वांशिगटन के साथ वार्ता ठप हो जाने के बाद पियोंगयांग अंतर्राष्ट्रीय समर्थन के लिए वैकल्पिक स्त्रोतों की तलाश कर रहे हैं।