चीन ने मंगलवार को आगाह किया कि ईरानी तेल खरीदने वालो पर प्रतिबन्ध लगाने का अमेरिकी निर्णय मध्य एशिया और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा बाज़ार में तीव्र उथल-पुथल पैदा कर देगा। व्हाइट हाउस ने मंगलवार को ऐलान किया कि “प्रतिबंधों के छूट पाने वाले देशों की वह छह माह की रिआयतों को खत्म कर रहे हैं।”
भारत और चीन ईरान के तेल सबसे बड़े उपभोक्ता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि “चीन ने अमेरिका के एकतरफा प्रतिबंधों और कथित लम्बे अरसे से जारी शस्त्र अधिकार क्षेत्र का विरोध किया है। इस कदम से अमेरिका मध्य एशिया और वैश्विक ऊर्जा बाज़ार में उथल-पुथल की स्थिति उत्पन्न कर देगा।”
नवंबर में ट्रम्प प्रशासन ने भारत सहित आठ देशों को प्रतिबंधों के बावजूद ईरान का तेल खरीदने की छह माह तक के लिए इजाजत दी थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने चेतावनी दी थी किछ माह तक सभी देशों को तेल आयात घटाकर शून्य करना होगा।
ट्रम्प प्रशासन ने ईरान के तेल को शून्य करने का संकल्प लिया है। ट्रम्प प्रशासन ईरान का सबसे बड़ा रेवेन्यू प्रणाली को खत्म करना चाहता है। अमेरिका के हालिया कदमो ने ईरान की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर दिया था। रिआयत वाले देशों में चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ताइवान, इटली और ग्रीस शामिल है। इनमे से तीन देशों ने तेल आयात को शून्य कर दिया हिअ लेकिन ईरान भारत का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक है।
देशो की प्रतिक्रिया
भारत: भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “इस निर्णय से होने वाले असर से निपटने के लिए हम पूरी तरह तैयार है।भारत एक ठोस योजना पर कार्य करेगा।”
इजराइल: इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने व्हाइट हाउस के निर्णय की सराहना की है। उन्होंने कहा कि “ईरान पर दबाव बनाने के लिए इसकी बेहद अधिक महत्वता है।”
ईरान: ईरानी विदेश विभाग के द्वारा जारी बयान के मुताबिक, प्रतिबन्ध को लागू करना सैंद्धांतिक तौर पर गैर कानूनी है और इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान प्रतिबंधों से रिआयत पर की भी तरीके से न जुड़ी थी और न है।