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    सीपीईसी पाकिस्तान चीन कर्जा

    चीन सीपीईसी प्रोजेक्ट में अब नया पैंतरा अपनाना चाहता है। चीन चाहता है कि सीपीईसी प्रोजेक्ट का पाकिस्तान में पूरा काम चीनी मुद्रा रेनमिनबी (युआन) के इस्तेमाल से हो। इसके लिए चीन ने पाकिस्तान को उसकी मुद्रा का प्रयोग करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन पाकिस्तान ने रेनमिनबी के उपयोग के लिए चीन की मांग को खारिज कर दिया है।

    चीन चाहता है कि सीपीईसी प्रोजेक्ट के तहत ग्वादर फ्री जोन में चीन की आधिकारिक मुद्रा रेममिनबी या चीनी युआन का इस्तेमाल किया जाए। लेकिन पाक ने चीन की इस मांग को खारिज कर दिया है।

    सोमवार को इस्लामाबाद में आयोजित हुई वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में पाक अपनी स्थिति से चीन को अवगत कराया सातवीं संयुक्त सहयोग समिति की बैठक से पहले वरिष्ठ अधिकारियों की वार्ता आयोजित हुई थी।

    पाकिस्तान में चीन की नई चाल

    चीन अपनी नई चाल के अनुसार मुद्रा के आधिकारिक नाम रेनमिनबी (आरएमबी) को अंतरराष्ट्रीयकरण करने की अपनी नीति के तहत पाकिस्तान में अपनी मुद्रा शुरू करना चाहता है। लेकिन पाकिस्तान चीनी मुद्रा विनिमय का जोखिम उठाने को तैयार नहीं थे।

    पाकिस्तान अमेरिकी डॉलर का उपयोग व पाकिस्तानी रूपयों को लगाने के लिए तैयार है। वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में रिपोर्ट में कहा गया कि रेनमिनबी के उपयोग का पाकिस्तान का विरोध अपने वित्त मंत्रालय और पाकिस्तान के स्टेट बैंक से आया था। जिसके बाद ही पाकिस्तान ने कहा कि वो रेनमिनबी का प्रयोग अपने देश में सीपीईसी प्रोजेक्ट के जरिए नहीं करना चाहता है।

    चीन, पाकिस्तान पर दबाव बना रहा था कि वो उसकी मुद्रा की मांग को स्वीकार करे और इसे दीर्घकालिक योजना (2014-2030) के अंतिम मसौदे का हिस्सा बनाये।

    चीन अच्छी तरह से जानता है कि वह अपनी मुद्रा को अगर सीपीईसी में लगाता है तो उसकी मुद्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आसानी से चलन में आ जाएगी। लेकिन पाकिस्तान ने चीन के इस पैंतरे का पता लगाकर उसकी मांग को खारिज कर दिया।

    चीनी मुद्रा को मिलती मजबूती

    चीन-पाकिस्तान आर्थिक मार्ग में चीनी मुद्रा को लागू करने के पीछे चीन का सबसे बड़ा कारण था कि इसके जरिये वह अपनी मुद्रा को वैश्विक स्तर पर मजबूत करना चाहता है।

    चीन ऐसा इसलिए चाहता है क्योंकि वन बेल्ट वन रोड योजना के तहत चीन अरबों डॉलर विभिन्न देशों में खर्च करेगा। ऐसे में यदि इन सभी देशों में चीनी मुद्रा का चलन भी बढ़ता है, तो चीन को असीमित फायदा हो सकता है। इसके बाद चीन एशिया में अपनी मुद्रा को व्यापार के लिए आधिकारी मुद्रा घोषित भी कर सकता है।