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    जम्मू एवं कश्मीर की लद्दाख लोकसभा सीट का चुनाव देखने वालों के लिए जितना रोचक बनता जा रहा है, उतना ही उम्मीदवारों के लिए कठिन परीक्षा के रूप में सामने आ रहा है।

    चुनावी क्षेत्र का इलाका लेह से लेकर कारगिल तक को कवर करता है। यह सीट भूगोल के लिहाज से देश का एक सबसे बड़ा और जनसंख्या के लिहाज से एक सबसे छोटा संसदीय क्षेत्र है। इस सीट का इलाका घाटी और जम्मू क्षेत्र से काफी अलग है, जिसके अपने अलग मुद्दे हैं।

    राजनीतिक तौर पर देखा जाए तो लद्दाख जम्मू और कश्मीर की दो अलग-अलग राजधानियों श्रीनगर और जम्मू से ज्यादा दिल्ली के काफी नजदीक है। यहां अलगाववाद की कोई समस्या नहीं है। घाटी में हो रही हिंसा का यहां कोई असर नहीं होता।

    चार महीनों में दिसंबर से लेकर अप्रैल के अंत तक जोजिला दर्रा क्षेत्र में बर्फ गिर जाने के कारण यह क्षेत्र भावनात्मक रूप से और आर्थिक रूप से राज्य से कटा रहता है।

    चुनावी क्षेत्र के 1,56,888 वोटरों में से (85,763 कारगिल और 71,125 लेह) 9,432 पुरुष और 77,456 महिलाएं हैं। यहां पाचवें चरण में छह मई को मतदान होना है।

    जामयांग त्सेरिंग नामग्याल (भाजपा), रिगजिन स्पालबार (कांग्रेस) और चार निर्दलीय उम्मीदवारों -हाजी असगर अली करबलाई, सज्जाद हुसैन, काचो मुहम्मद फिरोज और असगर अली- के नामांकन पत्रों को शनिवार को जांच में वैध पाया गया है।

    लेकिन मुकाबला भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवार सज्जाद हुसैन के बीच है।

    क्षेत्रीय दल नेशनल कांफ्रेंस(एनसी) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने हुसैन के समर्थन में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं।

    पारंपरिक रूप से बौद्ध और मुसलमान अलग-अलग पंक्तियों में मतदान करते है। नामग्याल और स्पालबार के बीच बौद्ध मतों के विभाजित होने की संभावना है, और दोनों बौद्ध लेह से हैं। ऐसे में नेकां और पीडीपी ने हुसैन के पीछे कारगिल के वोटों को एकजुट करने की योजना बनाई है।

    By पंकज सिंह चौहान

    पंकज दा इंडियन वायर के मुख्य संपादक हैं। वे राजनीति, व्यापार समेत कई क्षेत्रों के बारे में लिखते हैं।

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