सऊदी अरब के गठबंधन ने शनिवार को यमन की राजधानी सना में विद्रोहियों की सुरंगो में हवाई हमले किये थे, जहां वह ड्रोन्स को रखते थे। यह सुरंगे अध्यक्षीय पैलेस के नजदीक हूथी नियंत्रित सना में हैं। इन ड्रोनों का इस्तेमाल आतंकी अभियानों को अंजाम देने में किया जाता है।
कर्नल तुर्की अल मलिकी ने कहा कि “सेना का निशाना हूथी विद्रोहियों की गुफा थी जिसका इस्तेमाल वह ड्रोन्स को रखने के लिए करते थे।” इस माह की शुरुआत में गठबंधन ने कहा कि “सऊदी वायु रक्षा बलों ने यमन से हूथी विद्रोहियों द्वारा लॉच किये गए दो ड्रोन्स को देखा था जिसका निशाना खामिस मुशैट था। यह सल्तनत के दक्षिणी पश्चिमी में स्थित प्रमुख एयरबेस है।”
जनवरी में हूथी विद्रोहियों ने यमन के सबसे बड़े एयरबेस अल अनद पर ड्रोन से हमला किया था। यह हमला एक सैन्य परेड के दौरान किया गया था। इस हमले में 11 लोग जख्मी हो गए थे, इसमें डिप्टी चीफ ऑफ़ स्टाफ मेजर जनरल सालेह अल ज़न्दानी भी शामिल थे जिनकी बाद में मौत हो गयी थी।
इस हमले में सात अन्य वफादार और ख़ुफ़िया विभाग के आला अधिकारीयों की भी मौत हो गयी थी। यमन में ईरान समर्थित हूथी विद्रोहियों और सर्कार समर्थित सऊदी गठबंधन के बीच संघर्ष जारी है। मार्च 2015 में गठबंधन ने पहली राइड राष्ट्रपति अबेद्राबो मंसूर हादी के समर्थन में लांच की थी और वह रियाद में निर्वासित हैं।
यमन की जंग विश्व की सबसे भयावह मानवीय संकट है। इस तक़रीबन 1.4 करोड़ लोग भुखमरी के दौर से गुजर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक सऊदी अरब के समर्थन से यमन सरकार की वफादार सेना और ईरानी समर्थित हूथी विद्रोहियों ने 10000 लोगों हत्या की हैं।
हाल ही में अमेरिकी हाउस ऑफ़ रेप्रेसेंटिव में 247 में से यह प्रस्ताव 175 मतों से पारित हो गया है और यह प्रस्ताव राष्ट्रपति पारित करेंगे कि यमन की खूनी जंग से अमेरिका के सैन्य बलों को हटा दिया जाये।