विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर माह में खुदरा मुद्रास्फीति पिछले सात महीने के उच्चतम स्तर पर रही। उम्मीद जताई जा रही है कि नंवबर में भी खुदरा मुद्रास्फीति में 4 फीसदी की बढ़ोतरी होगी, इसके पीछे सब्जियों और तेल के दामों में वृद्धि मानी जा रही है।
वैश्विक वित्तीय संस्थाएं जैसे नोमुरा और मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक अर्थव्यवस्था में होने वाले चक्रीय सुधार तथा सब्जी और तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण आने वाले महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति में और ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है।
नोमुरा के एक रिसर्च नोट के अनुसार, नवंबर महीने में सीपीआई मुद्रास्फीति में 4 फीसदी से अधिक बढ़ोतरी होगी, जबकि साल 2018 में यह आरबीआई के निर्धारित लक्ष्य से भी 4 फीसदी उपर जाएगी। खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति ने अक्टूबर महीने में सीपीआई मुद्रास्फीति को 7 महीने के उच्चतम स्तर 3.58 फीसदी पर पहुंचा दिया। बोफएएमएल के अनुसार, नवंबर महीने में सीपीआई मुद्रास्फीति लगभग 4.5 प्रतिशत होने की संभावना है।
हालांकि बोफएएमएल ने यह भी कहा है कि सरकार की ओर से प्याज के आयात और संग्रहण के चलते भोजन की कीमतें नियंत्रित रहेंगी।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के मुताबिक कारखाना उत्पादन में मंदी के बीच जून से खुदरा मुद्रास्फीति में लगातार इजाफा जारी है।
मॉर्गन स्टेनली के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक, खाद्य और तेल की कीमतों में वृद्धि के अलावा एचआरए से संबंधित अधिक राज्यों और क्षेत्रों में ईंधन मुद्रास्फीति दबाव देखा जा सकता है। वैश्विक ब्रोकरेज फर्म एक रिपोर्ट के अनुसार, हालिया दिनों में वैश्विक तेल की कीमतों में वृद्धि के चलते मुद्रास्फीति पर खतरा उत्पन्न हो सकता है, जबकि हाल ही में जीएसटी रेट में कटौती की घोषणा से ज्यादातर उपभोग वस्तुओं के लिए कुछ राहत मिल सकती है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 4 अक्टूबर को आयोजित अपनी समीक्षा बैठक में बढ़ते मुद्रास्फीति की आशंका पर बेंचमार्क ब्याज दर अपरिवर्तित रखी, जिसने चालू वित्तीय वर्ष में 6.7 फीसदी जीडीपी के पूर्वानुमान को कम कर दिया है।