उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद भाजपा के लिए सबसे अहम चुनावी मुद्दा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निकाय चुनाव के प्रचार अभियान की शुरुआत के लिए अयोध्या को चुना था। योगी ने पहले ही यह तय कर लिया था कि अयोध्या से वह अपना चुनाव प्रचार शुरू करेंगे। अपनी पार्टी के तरफ से मुख्यमंत्री योगी निकाय चुनाव में एक बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। इसका कारण यह है कि आगामी गुजरात विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा का पूरा ध्यान गुजरात पर है। इस कारण उत्तर प्रदेश निकाय चुनावों में भाजपा की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री योगी के कन्धों पर है।
अयोध्या-फैजाबाद में होने वाले निकाय चुनाव को मुख्यमंत्री योगी की प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जा रहा है। भाजपा निकाय चुनावों में हिंदुत्व को अहम मुद्दा बनाना चाहती है। भाजपा उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को भी चुनाव प्रचार में बड़ी भूमिका देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है । भारतीय जनता पार्टी के चुनावी प्रचार की कमान सँभाले योगी ने अयोध्या से चुनावी शंखनाद इसलिए किया ताकि उनकी हिंदुत्व की छवि बरकरार रहे। निकाय चुनाव प्रचार से पहले पार्टी ने योगी की होने वाली रैलियों का विश्लेषण पहले ही तय कर दिया था। पार्टी ने कुल 36 रैलियों की सूची मुख्यमंत्री को सौंपी थी जिसका सम्बोधन खुद योगी को करना है। वहीं पार्टी ने यह भी कहा था कि अगर रैलियों की संख्या बढ़ने की जरुरत हुई तो इसमें इजाफा किया जायेगा।
बीजेपी के फायरब्रांड नेता और स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में काफी सक्रिय दिख रहे है। अयोध्या में अपनी सभा को सम्बोधित करते हुए योगी ने पार्टी द्वारा तैयार किये गए संकल्प पत्र को भी जनता से साझा करते हुए कहा था कि सरकार शहरी इलाकों में फ्री वाईफाई देगी। पेयजल की सुविधा में सुधार किया जाएगा और महिलाओं के लिए बड़े शहरी बाजारों में सरकार पिंक शौचालय का निर्माण करेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर का राग एक बार फिर अलापा और मंदिर बनाने की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने अपने सभा के अंतिम दौर में अयोध्या वासियों से कहा कि रामलला का जन्मस्थान जिस जगह है मंदिर उसी स्थान पर बनेगा। योगी अपने चुनाव प्रचार के दौरान यह मुद्दा छोड़ना नहीं चाहते है।
जब से योगी मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठे है तब से अभी तक वह अयोध्या के चार दौरे कर चुके है। अयोध्या में उन्होंने कई अहम योजनाओं का शिलन्यास किया है। अभी तक योगी अयोध्या के विकास के लिए 540 करोड़ की राशि का ऐलान कर चुके है। अयोध्या-फैजाबाद में एक प्रभावशाली जीत दर्ज करने के लिए भाजपा को कड़ी मेहनत करनी पद सकती है। अयोध्या की जनसंख्या कम होने के बावजूद यहाँ हिन्दुओं का दबदबा है वहीं फैजाबाद में भी हिन्दुओं का दबदबा कायम है। लेकिन इस बार भाजपा की मुश्किलें क्षेत्रीय पार्टियों ने बढ़ा दी है। एक तरफ भाजपा राम मंदिर का मुद्दा उठा रही है वहीं दूसरी तरफ अन्य सभी पार्टियां का बीजेपी का विरोध कर रही हैं। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी भी अपना भाग्यआजमा रही है।
जानकारों का कहना है कि भाजपा उत्तर प्रदेश में लगातार दो चुनावों से विजयी होती आई है वह आगे भी अपने जीत के सिलसिले को बरकरार रखना चाहेगी। भाजपा की छवि अभी भी जनता के बीच वैसे ही समाहित है जैसा वह खुद को पेश करना चाहती है।
फैजाबाद का क्षेत्र 150 वर्ग किलोमीटर है। फैजाबाद की जनसंख्या 6,67,544 है, जिसमें हिन्दुओं की आबादी 90% है। यहाँ की साक्षरता दर 76.87% है। यहाँ मुस्लिमों की आबादी 8% है। वहीं अयोध्या की कुल जनसंख्या 55,890 हजार है जिसमें हिन्दुओं की कुल आबादी 88% है वहीं मुस्लिमों की कुल आबादी 9% है। क्षेत्र की हिन्दू बाहुल्य आबादी का पूरा फायदा भाजपा को मिलता है । यहाँ के वर्तमान लोकसभा सदस्य लालू सिंह है जो बीजेपी के नेता है। अयोध्या विधानसभा सीट से वेद प्रकाश गुप्ता विधायक हैं जो भाजपा के नेता है। इस नजरिए से देखा जाए तो अयोध्या-फैजाबाद में भाजपा का दबदबा है।
इस क्षेत्र से समाजवादी पार्टी की दावेदारी भी मजबूत नजर आ रही है। सपा इस क्षेत्र की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं बसपा के चुनावी मैदान में आ जाने से सियासी समीकरण थोड़ा उल्टा पड़ गया है। अयोध्या-फैजाबाद से भाजपा ने ऋषिकेश उपाध्याय को मेयर प्रत्याशी घोषित किया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राम की नगरी में योगी अपनी प्रतिष्ठा बचा पाएंगे।