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    सचिन तेंदुलकर

    क्रिकेट के इतिहास में अबतक विश्वकप के 11 संस्करण खेले जा चुके है और पूर्व दिग्गज खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने इनमें से 6 विश्वकप का हिस्सा रहे है। शोपीस इवेंट में के लिए उनका सफर 1992 में शुरु हुआ और 2011 में खत्म हुआ और उन्होने विश्वकप की जीते का असली स्वाद 2011 में चखा। और, दो दशकों के दौरान, सचिन ने अपने राष्ट्र के लिए बल्लेबाजी करने के लिए हर बार अपने कंधों पर अपने देश के एक अरब से अधिक लोगों का बोझ ढोया।

    साथ ही, उन्होंने क्रिकेट प्रेमियों को उन यादों के साथ प्रदान किया जो जीवन भर चलेगी। किसी भी खिलाड़ी द्वारा छह विश्व कप खेलने की कल्पना करना और यहां तक कि उन्हें पूरे अवधि के लिए देश के ध्वजवाहक होने की कल्पना करना भी कठिन है।

    लेकिन फिर, तेंदुलकर ने साबित कर दिया कि यह संभव था। जब भी यह महान खिलाड़ी अपने देश के लिए खड़ा होता था, तो कुछ उम्मीद जगती थी। ऐसे लगता था कि अब कुछ विशेष देखने को मिलेगा।

    अब तब, विश्व कप ने कई दिग्गजों को इस आयोजन पर अनुग्रह करते हुए देखा है। सर विवियन रिचर्ड्स पहले बड़े क्रिकेट सुपरस्टार थे जिन्होंने एकिदिवसीय क्रिकेट का निर्माण किया था। उन्होंने 1979 के विश्व कप फाइनल में वेस्टइंडीज की टीम से इंग्लैंड के खिलाफ शतक बनाया था।

    उसके बाद 1992 के विश्वकप में इमरान खान का जलवा देखने को मिला जिन्होने अपनी कप्तानी की एक अहम साख छोड़ते हुए पाकिस्तान को उनका पहला विश्वकप जितवाने में मदद की। उसके बाद हमे क्रिकेट के इस सफर में ऑस्ट्रेलिया के तीन महान बल्लेबाज देखने को मिले जिसमें पोंटिंग, गिलक्रिस्ट और ग्लैन मैकग्रा का नाम शामिल था। जिनकी बल्लेबाजी से ऑस्ट्रेलिया ने विश्वकप पर सभी टीम पर हावी होना शुरु कर दिया था।

    लेकिन फिर, क्या सचिन विश्व कप इतिहास के सबसे बड़े क्रिकेटर है? आओ हम फिर आपको उनके आकड़ो से अवगत करवाते है और उन्हे विश्वकप के इतिहास का सबसे महान खिलाड़ी कैसे है बताते है: उन्होने 6 विश्वकप में कुल मिलाकर 45 मैच खेले है जिसमें उन्होने 6 शतक की मदद से 2278 रन बनाए थे। इस दौरान एक विश्वकप में उन्हे मैन ऑफ द टूर्नामेंट से नवाजा गया था।

    सचिन तेंदुलकर
    सचिन तेंदुलकर ने 2003 में मैन ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीता

    अब आप इस बात से सहमत हो सकते है कि सचिन विश्वकप के इतिहास में सबसे महान खिलाड़ी क्यों है। क्योंकि आकड़े के मामलो में कोई भी खिलाड़ी इस महान खिलाड़ी के आगे पीछे नही है।

    लेकिन अपने क्रिकेट करियर में सबकुछ हासिल करने के बाद भी सचिन तेंदुलकर के पास एक चीज नही थी। वह अपने शुरुआती पांच विश्वकप में कोई खिताब नही जीत पाए थे।
    लेकिन 2011 में खेले गए अपने छठे विश्वकप में उन्हे एमएस धोनी की कप्तानी में यह मुकाम भी मिल गया। 2 अप्रैल, 2011 की उस रात को जब भारतीय टीम अपना दूसरा विश्वकप जीती थी, तब इस महान खिलाड़ी के आंखो में खुशी के आंसू थे। और भारत ने लगभग तीन दशक बाद विश्वकप के खिताब पर कब्जा किया था।
    और यही कारण है कि सचिन विश्व कप के इतिहास में अब तक के सबसे महान क्रिकेटर है।

    By अंकुर पटवाल

    अंकुर पटवाल ने पत्राकारिता की पढ़ाई की है और मीडिया में डिग्री ली है। अंकुर इससे पहले इंडिया वॉइस के लिए लेखक के तौर पर काम करते थे, और अब इंडियन वॉयर के लिए खेल के संबंध में लिखते है

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