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    चीनी परियोजना बीआरआई का पोस्टर

    चीन ने शुक्रवार को ऐलान किया कि वह भारत के साथ वुहान की तरह द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए मुलाकात करने के लिए तैयार है। रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत अगले सप्ताह आयोजित दूसरे बीआरआई सम्मेलन का भी बहिष्कार कर सकता है।

    बीआरआई का सम्मेलन में भारत को न्योता

    चीन-पाक आर्थिक गलियारा के तहत प्रोजेक्ट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरेगा जो भारत की संप्रभुता का उल्लंघन है। 25-27 अप्रैल तक बीजिंग में आयोजित एक ट्रिलियन डॉलर की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव परियोजना के पूर्व चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने भारत से सीपीईसी का विरोध करना छोड़ने की गुजारिश की और कहा कि “वह कश्मीर विवाद की मूल स्थिति को नज़रअंदाज़ नहीं कर रहे हैं।”

    पत्रकारों ने पूछा कि यदि भारत इस वर्ष भी बीआरएफ का बहिष्कार करने का निर्णय लेता है तो यह बीते वर्ष नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग के बीच मुलाकात की अनदेखी होगी, इस बाबत वांग ने कहा कि “वहां में दोनों नेताओं की बैठक सफलतापूर्वक रही थी।”

    उन्होंने कहा कि “नेतृत्व के बीच संयुक्त विश्वास स्थापित हो चुका है और उन्होंने भारत-चीन संबंधों को भविष्य में मज़बूत और सुधारत्मक बनाने के लिए संयुक्त योजना बनायीं है। वुहान सम्मेलन के बाद हम दोनों देशों के बीच हर क्षेत्र में प्रगति देख सकते हैं और इस सम्बन्ध की उज्जवल सम्भावना है। हम अपने नेताओं के बीच अगले सम्मेलन की तैयारियां कर रहे हैं।”

    चीनी राष्ट्रपति की महत्वकांक्षी परियोजना

    वांग ने कहा कि “37 सरकारों के प्रमुखों ने बीआरएफ के सम्मेलन में शामिल होने की पुष्टि की है। साथ ही इसमें 150 देशों के प्रतिनिधि और 70 अंतर्राष्ट्रीय संघठनो के 5000 व्यक्तियों ने इस सम्मेलन में शामिल होने की दी है। पाकिस्तान और नेपाल के नेता भी इस सम्मेलन में शामिल होंगे।

    साल 2017 की तरह भारत ने इस वर्ष भी सम्मेलन का बहिष्कार करने के संकेत दिए हैं। चीन में भारतीय राजदूत विक्रम मिश्री ने कहा कि “कनेक्टिविटी पहल को इस तरीके से जारी रखने की जरुरत है कि वह सभी राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता, सम्प्रभुता और समानता का सम्मान करे।” बीआरआई एक बहुराष्ट्रीय परियोजना है जिसे साल 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुरू की थी।

    चीन के राष्ट्रपति भारत में चुनावो के बाद यात्रा की योजना बना रहे हैं। वांग ने कहा कि “चीन और भारत दो विशाल देश है। हमारे बीच मतभेद होना सामान्य है। यह प्राकृतिक है। मुझे याद है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने कई बार जिक्र किया था कि हमने अपने मतभेदों को विवादों में परिवर्तित नहीं होने दिया था। यह दोनों देशों की आवाम के मूल हितो के लिए हैं और इसे देखकर ही चीन को ख़ुशी मिलती है।”

    उन्होंने कहा कि “बीआरआई को देखने के नजरिया भी अलग है। भारतीय पक्ष की अपनी चिंताए हैं। हम इसे समझते हैं और इसलिए हमने कई मौको स्पष्ट तौर पर कहा है कि सीपीईसी सहित बीआरआई एक आर्थिक पहल है और यह किसी तीसरे देश को निशाना नहीं बनाएगी और इसका क्षेत्रीय व अखंडता के विवादों से कोई लेना-देना नहीं है।”

    वांग यी ने कहा कि “इन विवादों पर भारत की मूलभूत स्थिति है। हमारा सहयोग इन मसलो पर किसी पार्टी की स्थिति को नज़रअंदाज़ करना नहीं है। बीआरआई के तहत हम सहयोग से सामान्य समृद्धि हासिल करने के प्रयास कर रहे हैं। ऐसे सहयोग क्षेत्रीय अखंडता और सम्प्रभुता पर आपकी मूलभूत स्थिति को नज़रअंदाज़ नहीं करेंगे बल्कि विकास के बेहतर मौके मुहैया करेंगे। मुझे यकीन है यह भारत के लिए अच्छा विकल्प और चयन है।”

    अमेरिकन ने भी इस सम्मेलन का बहिष्कार किया था। चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि “हम उनकी भागीदारी का स्वागत करते हैं। जैसा मुझे मालूम है कि अमेरिकी राजनयिकों, स्थानीय सरकारों और कारोबारियों ने समारोह में उपस्थिति की पुष्टि कर दी है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, स्पेन, जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ इस समारोह में उच्च स्तरीय प्रतिनिधियों को भेजेंगे।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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