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    ट्राइपोलि में संघर्ष

    लीबिया में संघर्ष का माहौल जारी है और इस परिस्थिति से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सरक्षा परिषद् ने त्रिपोली में संघर्षविराम की मांग करने वाले मसौदे पर नए सिरे बात शुरू की थी जिसमे वैश्विक ताकतों के बीच विभाजन है। परिषद् की अध्यक्षता रखने वाले जर्मनी ने त्रिपोली में संघर्ष बढ़ने के बाद तत्काल बैठक की मांग की थी।

    त्रिपोली में संघर्ष जारी

    लीबिया में विद्रोही कमांडर खलीफा हफ्तार ने राजधानी त्रिपोली को अपने नियंत्रण में लेने के लिए दो सप्ताह पूर्व आक्रमक कार्रवाई की शुरुआत की थी। जर्मन कूटनीतिज्ञों द्वारा जारी नोट के मुताबिक, परिषद् में गुरूवार को लीबिया के जमीनी हालातो के बाबत संक्षिप्त में विवरण दिया था।

    भारी संघर्ष से जूझने के दौरान त्रिपोली वैश्विक ताकतों के बीच मतभेद अधिक गहरा गए हैं। यूएन के आंकड़ों के मुताबिक, 4 अप्रैल को हफ्तार द्वारा अपनी सेना को राजधानी की तरफ कूच करने के आदेश के बाद न्यूनतम 174 लोग मारे गए हैं और 25000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं।

    यूएन के प्रवक्ता स्टेफेन दुजाररिक ने कहा कि “संघर्ष का विस्फोट होने के बाद त्रिपोली भीषण युद्ध का का गवाह है। राजधानी के नजदीकी अधिक जनसँख्य वाले इलाके में रॉकेट भी दागे गए थे। बीते 24 घंटो में हमें एक दिन में सबसे अधिक विस्थापन देखे हैं, 4500 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं।”

    प्रस्ताव पर अफ्रीकी राष्ट्र खफा

    ब्रिटेन ने इस मसौदे को आगे बढ़ाया और तत्काल त्रिपोली में संघर्षविराम लगाने और तनाव को कम करने की मांग की थी लेकिन रूस ने हफ्तार की आलोचना की भाषा पर चिंता व्यक्त की थी, कि हफ्तार का आक्रमण लीबिया की स्थिरता के लिए खतरा है। बुधवार को ब्रिटेन ने नए वर्जन के साथ इस प्रस्ताव को रखा लेकिन तीन अफ्रीकी राष्ट्रों गुइना, आइवरी कोस्ट और दक्षिण अफ्रीकी ने इस पर रोक लगा दी थी।

    हफ्तार को मिस्र और संयुक्त अरब अमीरात का समर्थन है और उन्होंने ऐलान किया कि वह राजधानी को अपने नियंत्रण में लेंगे। त्रिपोली पर अभी यूएन समर्थित सरकार का नियंत्रण है। खलीफा हफ्तार पूर्वी लीबिया में विद्रोही प्रशासन का समर्थक है और वह त्रिपोली की सरकार को मान्यता देने से इंकार करता है।

    ब्रिटेन को इस प्रस्ताव पर शुक्रवार तक मतदान होने की उम्मीद है लेकिन अभी वह मुमकिन होता नहीं दिख रहा है। कूटनीतिज्ञों के मुताबिक, प्रस्ताव पर जल्द स्वीकृति के दबाव के कारण अमेरिका इससे अपने पैर पीछे खींचता दिख रहा है। यूएन के महासचिव एंटोनियो गुएटरेस ने लीबिया में तत्काल संघर्षविराम की मांग की थी।

    यूएन के अध्यक्ष हफ्तार की सेना द्वारा आक्रमण के दौरान लीबिया में ही मौजूद थे। हफ्तार की आक्रमक कार्रवाई के कारण संयुक्त राष्ट्र को मज़बूरन नेशनल कांफ्रेंस को रद्द कारण पड़ा था।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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