चारा घोटले में झारखण्ड की जेल में सजा काट रहे राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की जमानत की अर्जी खारीज होने के साथ ही उनकी राजनीतिक गतिविधियों पर भी रोक लगा देनी चाहिए। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किये गए हलफनामें में कहा कि अगर लालू को 3.5 साल की सजा नही होती हैं तो भी सभी मामलों में 27.5 साल की सजा होगी।
जांच ऐजंसी ने कहा कि लालू यादव चिकित्सा आधार पर लोकसभा चुनाव के लिए जमानत मांग कर आदालत को गुमराह कर रहे हैं।
यह भी कहा गया कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री अस्पताल के विशेष वार्ड से राजनीतिक गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं।
2017 सजा काट रहे लालू यादव रांची के एक अस्पताल में है जिन्हे अभी और सजा काटना बाकी हैं। 1990 के दशक में जब वह अविभाजित बिहार के मुख्यमंत्री थे तब मवेशियों के चारे के लिए सरकारी फंड से लाखों करोडों के धन के गबन में दोषी ठहराया गया।
सीबीआई ने आदालत में कहा कि लालू यादव जेल में सजा नही काट रहे बल्कि अस्पताल के एक विशेष वार्ड में ठहरे हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 10 अप्रैल को करेगी।
पिछले साल लालू यादव ने छ हफ्तों कि जमानत की मांग की थी। उनको किसी भी सार्वजनिक सभाओं में या राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध हैं।