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    डिएस हूडा

    भारत के पूर्व उत्तरी कमांडर सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल डिएस हुडा ने कांग्रेस पार्टी को सुझाव दिया कि व्यवहारिक तरीके से वार्ता को बहाल करें। जनरल हुडा को कांग्रेस ने बीते माह राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी दी थी।

    पाकिस्तान के साथ बातचीत बंद न करे

    सेवानिवृत्त जनरल ने साल 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व किया था उन्होंने सुझाव दिया कि भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत बंद नहीं करनी चाहिए पुलवामा आतंकी हमले के खिलाफ भारत की आतंकवाद के खिलाफ प्रतिक्रिया को दर्ज करना चाहिए।

    उन्होंने कहा कि “इसमें कोई संदेह नहीं है कि सैन्य कार्रवाई से तनाव बढ़ने का खतरा रहता है और इसका भविष्य की योजनाओं पर असर पड़ता है। हमें आतंकियों का समर्थन न करने देने के लिए पाकिस्तान पर सतत और लम्बी रणनीति बनाकर निरंतर दबाव बनाने की जरुरत है। भारत का गैर बर्दाश्तन क्षमता के बढ़ने और आतंकी गतिविधियों के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देने से जंग के हालात के आसार बढ़ जाते हैं।

    उन्होंने कहा कि “कूटनीति और आर्थिक रूप से अलग-थलग रहना इस रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी .पाकिस्तान के साथ बातचीत व्यवहारिक तरीके से होनी चाहिए और इसकी प्रगति प्रत्यक्ष परिणाम पर आधारित होना चाहिए। भारत और पाकिस्तान को परमाणु मसले पर संजीदगी से बातचीत करनी चाहिए क्योंकि यह दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है।

    रिपोर्ट के आलावा उन्होंने कहा कि भारत के पछिम की तरफ कदम में पाकिस्तान अडंगा लगाता है और भारत के लिए पाकिस्तान को पार कर एक वैकल्पिक मार्ग ढूंढना जरुरी है और वह ईरान है। ईरान के चाहबार बंदरगाह के जरिये भारत भारत चारो तरफ से घिरे हुए अफगानिस्तान में प्रवेश कर सकता है। ईरान के साथ भारत की करीबी अमेरिका के साथ मतभेद उत्पन्न कर सकती है लेकिन रणनीतिक हितों की स्पष्ट रूप से व्याख्या करनी चाहिए।

    भारतीय बंदरगाहों का इस्तेमाल करने के लिए चीन को प्रस्ताव देना

    जनरल हुडा ने कहा कि “क्षेत्र में चीन की बढ़ते हित भारत के लिए लम्बे समय से चुनौती रहे हैं। चीन के साथ भारत एक शांतिपूर्ण सम्बन्ध चाहता है हालाँकि भारत की मूल चिंताओं के साथ समझौता नहीं किया जा सकता है मसलन, हमारी सीमाओं की अखंडता, आतंकवाद पर हमारा रुख और साउथ एशियन और समुंद्री क्षेत्रों के प्रति हमारी संवेदनशीलता है।

    उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान और म्यांमार के जरिये सड़क गलियारों के वैकल्पिक मार्गो का इस्तेमाल कर रहा है ताकि हिन्द महासागर के जरिये आयात कर सके। भविष्य में भारत को भी अपने बंदरगाहों का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव चीन के समक्ष रखना चाहिए और यह चीन की इच्छा पर आधारित होगा कि वह भारत के मूल हितो को समझता है या नहीं।”

    जनरल ने कहा कि चीन पारंपरिक नौसैन्य ताकत नहीं है लेकिन अब वह हिन्द महासागर पर अपनी मौजूदगी को बढ़ा रहा है। भारत और चीन को दक्षिणी चीनी सागर और हिन्द महासागर दोनों पर शान्ति और सौहार्द को कायम रखना होगा इसके ल्लिये दोनों देशों की नौसेना के मध्य नियमित बातचीत के आयोजन की जरुरत है जहाँ पर संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा की जा सके।

    सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता की जरुरत के बाबत जनरल हुडा ने बताया कि उदहारण, मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल कर दिया। जब तक भारत सभी सदस्यों की तरह परिषद् की स्थायी सदस्यता हासिल नहीं कर लेता, तब तक भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मसलों पर पर्याप्त तरीके से संबोधित नहीं किया जायेगा।

    तालिबान के साथ न करे बातचीत

    उन्होंने कहा कि “भारत को तालिबान के साथ शान्ति वार्ता के लिए बातचीत नहीं करनी चाहिए अफगानी संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान से भारत के प्रमुख रणनीतिक हित जुड़े हुए हैं। भारत ने हमेशा अफगानिस्तान के नेतृत्व और अफगान नियंत्रित सुलह प्रक्रिया का समर्थन किये है लेकिन रूस और अमेरिका दोनों ही इस वक्त तालिबान के साथ सीधे बातचीत कर रहे हैं। बाजवूद इसके भारत को अपनी स्थिति से समझौता नहीं करना चाहिए और तालिबान के समर्थन के लिए तैयार रहना चाहिए।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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