नेपाल और पाकिस्तान के बीच विदेशी सचिव के स्तर की वार्ता भारत के दबाव के कारण रद्द नहीं की गयी है बल्कि काठमांडू को लगता है कि यह बातचीत का उपयुक्त समय नहीं है और उनके दिमाग में भारत-पाक तनाव की बात चल रही थी।
नेपाल ने पाकिस्तान के साथ एक नहीं बल्कि दो वार्ता के मौकों को रद्द कर दिया था इसमें एक संसद के अध्यक्षों के बीच की वार्ता था। यह बैठक 28 मार्च को भारतीय विदेश सचिव विजय गोखले की नेपाल यात्रा से पहले आयोजित होनी थी।
पाक से दो बार वार्ता रद्द
सूत्र ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि “भारत में नेपाल अपना दोस्त देखता है और भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव में काठमांडू ने अपने पडोसी मुल्क के साथ संबंधों की महत्वता को दर्शाया है इसलिए पाकिस्तान के साथ वार्ता को रद्द कर दिया गया था। हालाँकि भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ बातचीत को रद्द करने के लिए नेपाल पर बनाये गए दबाव के बाबत जानकारी होने से इंकार कर दिया था।”
नेपाल की मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान के साथ वार्ता इसलिए रद्द हो गयी क्योंकि भारत ने इसकी मंज़ूरी नहीं दी थी। सार्क देशों का सदस्य नेपाल भी है और इस सम्मेलन की प्रक्रिया को शुरू करने के लिए भारत सरकार पर दबाव भी बना रहा है। यह सम्मलेन आखिरी दफा साल 2016 में पाकिस्तान में होना था, लेकिन उरी हमले के बाद यह प्रक्रिया ठप पड़ी है। इस हमले को पाकिस्तानी सरजमीं से आये आतंकवादियों ने अंजाम दिया था, इसलिए भारत ने इस सम्मेलन का बहिष्कार करने का निर्णय लिया था।
सार्क की बहाली के लिए भारत पर दबाव
इस वर्ष जनवरी में भारत की यात्रा के दौरान नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञवाली ने कहा था कि “सार्क सदस्य देशों का एकसाथ बैठकर क्षेत्रीय सहयोग और मतभेदों पर चर्चा से भागने का कोई कारण नहीं है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन मुलकात कर सकते हैं।”
नेपाल की यात्रा के दौरान विजय गोखले ने प्रधानमंत्री केपी ओली से संयुक्त हितों के मसले पर बातचीत की थी। विदेश सचिव ने अपने नेपाली समकक्षी शंकर दास बैरागी के साथ कई परियोजनाओं के निर्माण के स्टेटस की समीक्षा की थी। नेपाल ने बयान जारी कर कहा कि “दोनों पक्षों ने बीते एक वर्ष में कई क्षेत्रों में सहयोग की प्रगति पर संतुष्टि जाहिर की है। साथ ही कई लंबित मसलों के जल्द समाधान पर भी जाहिर की है।”