पाकिस्तान नकदी के संकट से उभरने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से बैलआउट पैकेज की मांग कर रहा है। पाकिस्तानी वित्त मंत्री असद उमर ने कहा कि “बैलआउट पैकेज से सम्बंधित बातचीत सभी मसलों के हल के साथ अंतिम दौर में पंहुच चुकी है। हम समझौते के काफी करीब है और अब कोई मूल मतभेद बाकी नहीं है।”
आईएमएफ से कर्ज आखिरी पड़ाव पर
उर्दूपॉइंट के मुताबिक पाकिस्तान के मंत्री ने स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान की इलेक्ट्रॉनिक मनी इंस्टीटूशन रेगुलेशन की सोमवार को लॉच के दौरान आईएमएफ से बातचीत की बात सार्वजानिक की थी। उन्होंने कहा कि “चालू वित्तीय घाटे को कैसे कम किया जाए, इस मसले को भी हम किया जा चुका है। अब कोई मतभेद का मसला बरकरार नहीं है।”
वित्त मंत्री ने बताया कि “आईएमएफ के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करने की समयसीमा और श्रैणी से सम्बंधित मसले के समाधान के लिए बातचीत का आयोजन किया जायेगा। आईएमएफ का कार्यक्रम आमतौर पर तीन वर्षों में खत्म हो जाता है और वह तीन किश्तों में पाकिस्तान को कर्ज देंगे।”
उन्होंने कहा कि “अगर आईएमएफ छह अरब डॉलर के कर्ज पर हस्ताक्षर करते हैं तो पाकिस्तान इस वित्तीय वर्ष इ दो अरब डॉलर की राशि का भुगतान कर दिया जायेगा और अगर नौ अरब डॉलर की राशि पर दस्तखत हुए तो पहली किश्त में तीन अरब डॉलर की अदाएगी होगी।”
पाकिस्तान अन्य अंतर्राष्ट्रीय मार्किट से
असद उमर ने कहा कि “आईएमएफ से समझौते के बाद पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय बांड मार्किट से कर्ज लेने में सक्षम हो जायेगा। सऊदी अरब ने तीन अरब डॉलर की रकम दी थी। चीन ने दो अरब और यूएई ने भी दो अरब डॉलर का भुगतान कर दिया है।”
आईएमएफ अभियान के प्रमुख रामिरेज रिगो 26 मार्च को इस्लामाबाद के दौरे पर आयी थी। सूत्रों के हवाले से एआरवाई न्यूज़ ने बताया कि “पाकिस्तान आईएमएफ से छह अरब डॉलर कर्ज लेने की इच्छा रखता है। हालाँकि अंतिम मसौदा वांशिगटन में आईएमएफ और विश्व बैंक की अप्रैल में संयुक्त बैठक के बाद ही तय हो सकेगा।
जिओ न्यूज़ ने पुष्टि की कि इस वर्ष पाकिस्तान की उपभोक्ता प्राइस में महंगाई 9.41 प्रतिशत बढ़ी है। फरवरी में यह 8.21 फीसदी थी। पाकिस्तान में महगाई के बढ़ने से भोजन, ईंधन और परिवहन की कीमतों ने घरो के बजट को हिला कर रख दिया है।