ट्यूनीशिया में सम्मेलन में 22 सदस्यीय समूह ने रविवार को गोलन हाइट्स को इजराइल का भूभाग के तौर पर मान्यता देने का विरोध किया है। इस समूह ने कहा कि “अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत गोलन हाइट्स सीरिया क्षेत्र का भूभाग है और यह यूएन और सुरक्षा परिषद् द्वारा मान्य है।
अल जजीरा के मुताबिक अरब लीग के सेक्रेटरी जनरल अहमद अबोल ने कहा कि “अमेरिका के कदम के खिलाफ हम सुरक्षा परिषद् में प्रस्ताव लेकर आएंगे और इस मसले पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायिक अदालत से अपना विचार रखने को कहेंगे।”
सऊदी अरब के बादशाह सलमान बिन अब्दुल अजीज ने गोलन पर सीरिया की सम्प्रभुता को प्रभावित करने वाले सभी तथ्यों को ख़ारिज करने के लिए कहा है। सेक्रटरी जनरल ने कहा कि “आधिपत्य एक अपराध है और वैधता के बिना है।
इजराइल ने साल 1967 में सीरिया से गोलन क्षेत्र को छीन लिया था और साल 1981 में आधिकारिक तौर पर इस क्षेत्र मे अपना कब्ज़ा बना लिया था। अलबत्ता, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इजराइल के अवैध कब्जे को कभी स्वीकृति नहीं दी थी।
यूएन के अध्यक्ष एन्टोनियो गुएटरेस ने अरब नेताओं से कहा कि “सीरिया में जंग से सम्बंधित कोई भी प्रस्ताव राष्ट्र की अखंडता को सुनिश्चित करेगा। इसमें गोलन हाइट्स भी शामिल है।” सीरिया ने इस बैठक में शिरकत नहीं की थी। अन्य अरब राष्ट्रों ने साल 2011 में सीरिया की सदस्य्ता निलंबित कर दी थी। इस दौरान राष्ट्रपति बशर अल असद ने अपने विपक्षियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई की थी, जो गृह युद्ध में परिवर्तित जो गयी थी।
अरब नेताओं ने गोलन हाइट्स पर एकजुटता दिखाई है। हालाँकि भविष्य में सीरिया की इस समूह में वापसी की कोई सम्भावना नहीं है। बशर अल असद सऊदी अरब और क़तर से खफा है क्योंकि उन्होंने गृह युद्ध के दौरान विद्रोहियों को समर्थन दिया था।
सऊदी अरब और यूएई ने भी क़तर को अलग थलग कर दिया है और उस पर आतंकवाद का समर्थन करने और ईरान के करीब जाने का आरोप लगाया है। साल 2017 में सऊदी अरब द्वारा क़तर पर प्रतिबन्ध लगाने के बाद दोनों देश पहली बार एक सम्मेलन में साथ दिखाई दिए थे।
क़तर के मंत्री शिख तमीम बिन हमद ने सभागार को सत्र से शुरू होने से पहले ही छोड़ दिया था। क़तर की मीडिया के मुताबिक नेता वहां से चले गए थे लेकिन प्रतिनिधि समूह वही मौजूद था।