अमेरिका के राष्ट्रपति ने सोमवार को गोलन इलाके को इजराइल के क्षेत्र के भाग के रूप में मान्यता दे दी थी। सऊदी अरब ने इसे खारिज करते हुए इसकी निंदा की और कहा कि यह सरासर अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। इस इलाके को इजराइल ने साल 1967 के युद्ध के दौरान सीरिया से छीन लिया था। इसे कभी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता नहीं दी है।
सऊदी अरब की एसपीए न्यूज़ एजेंसी के आधिकारिक बयान के मुताबिक “सऊदी अरब ने इस प्रस्ताव को खरिज कर दिया है और अमेरिकी प्रशासन के ऐलान की निंदा की है, कि सीरिया के गोलन हाइट्स पर अवैध कब्ज़ा करने वाले इजराइल को मान्यता दे दी है।
उन्होंने कहा कि “गोलन जमीन हमेशा सीरिया का भाग रहेगी और इसे इजराइल की सरजमीं के रूप में मान्यता देना, यूएन विशेषाधिकार और अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तावों का उल्लंघन है।”
सुरक्षा परिषद् में वीटो का अधिकार प्राप्त ब्रिटेन और फ्रांस ने कहा कि “वह परिषद् के प्रस्तावों में गोलन हाइट्स को इजराइल द्वारा कब्ज़ा किये हुए क्षेत्र के रूप में ही विचार करेंगे।” डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता पर काबिज होने के बाद अमेरिका और सऊदी अरब के रिश्तों में काफी सुधार आया है।
साल 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के मामले में डोनाल्ड ट्रम्प ने सऊदी के खिलाफ कड़े कदम उठाने की खिलाफत की थी। जबकि आलोचकों के मुताबिक सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद सलमान ने ही जमाल खशोगी की हत्या करवाई थी।
यूएन के सुरक्षा परिषद् प्रस्ताव को 15 सदस्यीय संस्था ने साल 1981 में लिया था जिसके तहत गोलन पर इजराइल का प्रशासन, कानून और न्यायिक प्रक्रिया को मान्यता नहीं दी गयी थी। यह अंतर्राष्ट्रीय कानून से प्रभावित नहीं हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि “इस पुरे कार्य में काफी समय लग गया। इसे मैं इजराइल की जनता को सौंपता हूँ।” इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने डोनाल्ड ट्रम्प के इस कदम की सराहना की है। इजराइल का कद जो साल 1967 में था, जो साल 1973 में हैं वही आज है। हम इससे कभी पीछे नहीं हटेंगे।”