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    अमेरिकी विदेश मंत्री रोहिंग्या म्यांमार

    अमेरिका के विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन बुधवार को म्यांमार के सेना प्रमुख के साथ रोहिंग्या संकट को लेकर वार्ता करेंगे। इस वार्ता में रोहिंग्या मुसलमानों पर किए जा रहे अत्याचारों को लेकर व बांग्लादेश में पलायन को मजबूर हुए 6 लाख से अधिक रोहिंग्या का मुद्दा उठाया जाएगा।

    विदेश मंत्री टिलरसन फिलीपीन्स में आयोजित आसियान सम्मलेन से सीधे ही म्यांमार के लिए रवाना हो गए। म्यांमार की राजधानी पहुंचने के बाद रेक्स टिलरसन म्यांमार की नेता आंग सान सू की से मुलाकात करने से पहले म्यांमार सेना प्रमुख मिन हांग अलांग के साथ चर्चा करेंगे।

    इसके बाद आंग सान सू की से मुलाकात करेंगे। रेक्स टिलरसन व आंग सान सू की मुलाकात के बाद संयुक्त समाचार सम्मेलन करेंगे।

    टिलरसन के साथ यात्रा करने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी के मुताबिक टिलरसन के म्यांमार सेना प्रमुख से मिलने का मुख्य मकसद रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस से म्यांमार में अपने घर लौटने की अनुमति देना है। साथ ही म्यांमार के रखाइन प्रांत में शांति व स्थिरता को कायम बनाए रखना है।

    सेना प्रमुख व म्यांमार नेता से करेंगे मुलाकात

    गौरतलब है कि मंगलवार को फिलीपीन्स में आयोजित शिखर सम्मेलन के दौरान टिलरसन व म्यांमार नेता आंग सान सू की आपस में मिले थे। इस दौरान टिलरसन ने म्यांमार नेता के समक्ष रोहिंग्या संकट मुद्दा उठाया।

    जिस पर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता व म्यांमार नेता आंग सान सू की ने रोहिंग्या संकट को हल करने के लिए सेना की तरफ से किए जा रहे प्रयासों को बताया। साथ ही रोहिंग्या के वापसी को लेकर अपनी योजनाओं के बारे में जानकारी दी।

    संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारी ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार क्षेत्र में शरणार्थी शिविरों का दौरा किया था। जिस दौरान वहां के शरणार्थियों ने म्यांमार सेना के खिलाफ बलात्कार, हत्याओं और अनेक यातनाओं का आरोप लगाया। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने भी म्यांमार सरकार को सेना के खिलाफ कदम उठाने को कहा था।

    वहीं म्यांमार सेना के प्रमुख मिन आंग हलांग ने सैन्य अधिकारियों के फेसबुक पेज पर एक पोस्ट किया जिसमें बताया गया कि मानवाधिकार समूहों ने इन आरोपों पर सेना की आंतरिक जांच की है जिसमें सेना को दोषी नहीं माना गया है। सेना का कहना है कि रोहिंग्या ने सेना के अफसरों पर शुरूआत में हमला किया था जिसमें कई सैनिक मारे गए थे।