मोदी सरकार द्वारा टेस्ला के संस्थापक एलन मस्क को लगातार भारत में अपना एक प्लान लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। हालांकि पिछली बार जब उनके साथ इस बारे में चर्चा की गयी थी तो टेस्ला के संस्थापक ने भारत के व्यापार में मौजूद चुनौतीपूर्ण सरकारी नियमों का हवाला देते हुए इसे एक बढ़ा बताया था।
आयत शुल्क माफ़ी की मांग:
एक साल पहले उन्होंने सरकार से आयत पर विभिन्न करों और शुल्क माफ़ करने कोई मांग की थी लेकिन सरकार द्वारा इसकी आज्ञा नहीं दी गयी थी। उन्होंने यह आगे तब तक के लिए मांगी थी जब तक की भारत में टेस्ला का स्वयं का एक प्लांट न बन जाए।
भारत का इलेक्ट्रिक मार्किट नहीं है आशाजनक :
जहां टेस्ला से भारत में निवेश की मांग की जा रही है, विशेषज्ञों ने इस पर अपने कुछ तथ्य पेश किये हैं की टेस्ला के भारत में ना आने की क्या संभव वजह हो सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत का इलेक्ट्रिक बाज़ार इतना आशाजनक नहीं है और टेस्ला को इस बाज़ार में ज़्याफ़ा अवसर नहीं दिख रहे हैं। यदि वर्तमान की बात करें तो इलेक्ट्रिक बाज़ार के मामले में भारत चीन से पिछड़ा हुआ है। वर्तमान में भारत में केवल 6000 इलेक्ट्रिक कार हैं वहीँ चीन में वर्तमान में इलेक्ट्रिक कारों की संख्या 15 लाख से अधिक है।
इसके साथ ही चीन भारत के 425 सार्वजनिक चार्जिंग पॉइंट की तुलना में चीन में कुल 6000 से अधिक चार्जिंग पॉइंट हैं जोकि एक बड़ा अंतर है। हालांकि 2022 तक भारत में चार्जिंग पॉइंट की संख्या 2800 तक बढ़ जाने की संभावना है।
टेस्ला ने चीन में किया कारखाना स्थापित :
वर्ष 2019 की शुरुआत में टेस्ला ने चीन में $ 2 बिलियन के कारखाने को खोलकर एक दांव लगाया है। ऐसा करके यह इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी दुनिया के सबसे बड़े ऑटो बाज़ार में अपनी उपस्थिति दर्ज करने को तैयार है। उसने यह क्योंकि हाल ही में उसे घरेलू प्रतिद्वंद्वियों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है और इसकी बिक्री अमेरिकी आयातों की बढ़ी हुई दरों से प्रभावित हुई है।
टेस्ला ने बताय की वह अपने नए कारखाने में 2019 से अपनी मॉडल 3 मास-मार्केट कार का उत्पादन करना चाहती है। शंघाई सरकार ने एक बयान में कहा कि उसके मेयर यिंग योंग ने फर्म से कारखाने में काम में तेजी लाने का आग्रह किया है और कहा है कि उत्पादन पिछले साल दिसंबर में भूमि की यात्रा के दौरान 2019 की दूसरी छमाही में कुछ हद तक शुरू होगा।