एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में किसानों के लिए ऋण माफ़ी की योजना की घोषणा के बावजूद 4500 किसानों ने आत्महत्या की। ये आंकड़े मुंबई निवासी जीतेन्द्र घाडगे नें सरकार से आरटीआई द्वारा हासिल किये हैं।
बतादें की 2017 में किसानों की कर्जमाफी के लिए कुल 34000 करोड़ का वित्त आवंटित किया गया था जिसके बावजूद किसानों की आत्महत्या कम नहीं हुई।
हर दिन आठ किसान कर रहे आत्महत्या :
महाराष्ट्र में किसान बड़ी मात्रा में आत्महत्या कर रहे हैं। इस पर हाल ही में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की गयी थी जिसमे वर्ष 2014 से 2018 तक किसानो द्वारा की गयी आत्महत्या की गणना की गई थी। इस रिपोर्ट का यह परिणाम निकल कर आया की इन पांच वर्षों में कुल 14,034 किसानों द्वारा आत्महत्या की गयी।
यदि इस आँकड़े का विश्लेषण किया जाए तो यह परिणाम निकल कर आता है की महाराष्ट्र राज्य में हर दिन 8 किसान आत्महत्या का रास्ता चुन रहे हैं। पिछले पांच वर्षों में किसान-आत्महत्याओं पर यह जानकारी महाराष्ट्र सरकार द्वारा मुंबई के कार्यकर्ता जितेंद्र घडगे द्वारा एक आरटीआई आवेदन के जवाब से प्रकाश में आई है।
ऋणमाफ़ी से नहीं मिली कोई राहत :
किसानों की आत्महत्या की बढती घटनाओं से महाराष्ट्र सरकार ने 2017 में ऋणमाफ़ी करने की योजना बनाई। उस वर्ष किसानों का ऋण माफ़ करने के लिए सरकार द्वारा कुल 34000 करोड़ का वित्त आवंटित किया गया लेकिन बढती आत्महत्याओं को यह रोकने में असफल रहा। पिछले पांच वर्षों में कुल किसान आत्महत्याओं में से 32 प्रतिशत ऋण-माफी योजना की घोषणा के बाद दर्ज की गई थी।
आरटीआई के अनुसार ऋणमाफ़ी योजना की घोषणा के बाद भी जून 2017 से दिसम्बर 2017 की अवधि में कुल 1755 किसानों द्वारा आत्महत्या की गयी। इसके बाद वर्ष 2018 में भी कुल 2761 किसानों ने आत्महत्या कर ली। दूसरे शब्दों में, 4,516 किसानों ने एक दिन में आठ – कर्ज माफी के बावजूद खुद को मार डाला।
राज्य सरकार ने बताये ये कारण :
बढती आत्महत्याओं के चलते सरकार ने इस पर बयान दिया और बताया की किसानों द्वारा की जा रही आत्महत्या के विभिन कारण हैं जिनमे बड़ी संख्या में ऋण, फसल की विफलता, कर्ज चुकाने में असमर्थता, देनदारों के दबाव के कारण, बेटी की शादी या अन्य धार्मिक गतिविधियों के लिए पर्याप्त धन की खरीद में असमर्थता, पुरानी गंभीर बीमारी, शराब की लत, जुए जैसे कारण बताये गए।