लगभग 18 साल पहले इसी दिन, भारतीय टेस्ट टीम के दो सफल बल्लेबाज वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने ऑस्ट्रलिया के खिलाफ कोलकाता के इडन गार्ड्न्स में मैच विजेता पारी खेलते हुए टीम को ऐतिहासिक जीत दर्ज करवाई थी। एक बेकार सत्र ( 3-0 से ऑस्ट्रेलिया में मिली हार, 2-0 से न्यूजीलैंड से मिली हार) औऱ पहले टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मिली 10 विकेट से हारकर, किसी ने नही सोचा था कि सौरव गांगुली की कप्तानी में टीम मजबूत ऑस्ट्रेलियाई टीम को मात भी दे पाएगी।
जैसे की उस मैच में पूरा भाग्य मेहमान टीम के पास था, स्टीव वॉ ने टॉस जीतक पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। वॉग और उनके टीम ने पारी की एक अच्छी शुरुआत की। उस दौरान मैथ्यू हैडन (97) और माइकल स्लेटर (42) ने पहले विकेट के लिए 103 रन की साझेदारी की। जिस समय भारत ने ऑस्ट्रेलिया के पहले इनिंग को आउट किया तबतक टीम ने स्कोरबोर्ड में 445 रन जोड़ लिए थे।
जब भारतीय टीम पहली इनिंग में बल्लेबाजी करने आई, वह केवल लक्ष्मण थे जिन्होने बल्ले से थोड़ा अच्छा योगदान किया। लक्ष्मण ने पहली इनिंग में (59) रन की पारी खेली। जिसके बाद पूरी टीम पहली इनिंग में केवल 171 रन ही बना सकी।
जिसके बाद मेजबान टीम को मेहमान टीम ने फॉलो-ओन खेलने का मौका दिया। दूसरी इनिंग में, शिव सुंदर दास और सादागोप्पन रमेश ने टीम के एक अच्छी शरूआत दी, लेकिन जल्द ही स्पिनर शेन वॉर्न ने रमेश को आउट कर दिया। लेकिन उसके बाद लक्ष्मण और गांगुली ने चौथे विकेट के लिए 117 रन की साझेदारी की। लेकिन उसके बाद ग्लैन मैक्ग्रा ने गांगुली का विकेट लिया जिसके बाद लग नही रहा था कि टीम मैच में वापसी कर पाएगी।
नंबर-6 पर बल्लेबाजी करने आए, 27 वर्षीय द्रविड़ ने ना केवल का दूसरे छोड़ से लक्ष्मण को सहारा दिया बल्कि उन्होने अपनी टीम को मैच में वापसी करने में मदद करवाई। भारतीय टीम का स्कोर तीसरे दिन के खेल के अंत तक 4 विकेट के नुकसान पर 254 रन था।
जब लक्ष्मण और द्रविड़ चौथे दिन मैदान में आए, ऑस्ट्रेलिया की टीम मैदान में जल्द खेल खत्म करने के इरादे से उतरी थी। लेकिन इन दोनो खिलाडियो ने उस दौरान अपने करियर की सबसे बेहतरीन इनिंग खेली और ऑस्ट्रेलिया को बाहर का रास्ता दिखाया। लक्ष्मण और द्रविड़ खेल के चौथे दिन के खेल के अंत तक 275 और 155 रन पर नाबाद रहे।
लक्ष्मण, जो उस दौरान भारत के पहले ट्रिपल सेंचुरी मारने वाले खिलाड़ी बन जाते वह, 281 रन पर आउट हो गए। लक्ष्मण ने 452 गेंद बाद अपना विकेट गंवाया औऱ वह मैक्ग्रा का शिकार हुए। उन्होने क्रीज में 600 से ज्यादा मिनट बिताए। इस बीच द्रविड़ भी 180 रन बनाकर रन आउट हो गए।
भारत ने उस टेस्ट मैच में इतिहास रचा क्योंकि उन्होने ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी 212 रन पर ढेर कर दी। हरभजन सिंह ने उस मैच में बेहतरीन गेंदबाजी की और अपना नाम इतिहास की किताब में दर्ज करवाया। उस मैच में उन्होने 13 विकेट लिए जिसमें हैट-ट्रिक भी शामिल थी। भारत ने 3 टेस्ट मैचो की सीरीज को 1-1 से बराबर कर लिया था।
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