उत्तर कोरिया की मीडिया के मुताबिक देश के चुनाव में एकलौते उम्मीदवार के लिए इस साल 99.99 फीसदी वोट डाले गए हैं। बीते चुनाव में यह आंकड़ा 99.97 था। पश्चिमी लोकतान्त्रिक देशों ने कभी यह आंकड़ा हासिल नहीं किया है। उत्तर कोरिया में प्रति पांच वर्षों में एक ही दल ‘सुप्रीम पीपल्स असेंबली’ के चयन के लिए मतदान किया जाता है।
इस देश में हर मतदान स्लिप में एक ही नाम को मान्यता होती है, जो किम जोंग उन की पार्टी का उम्मीदवार होता है। यहां के परिणाम में शंका की कोई गुंजाइश नहीं होती है। उत्तर कोरिया की आधिकारिक न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक मतदान का आंकड़ा 100 फीसदी छूने से थोड़ा ही रह गया। विदेशों में कार्यरत लोग मतदान में शामिल नहीं हो पाए थे।
मतदान में चयनित 687 उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक नहीं की गयी हैं लेकिन उत्तर कोरिया के आधिकारिक न्यूज़ चैनल ने चयनित सदस्यों के नाम सार्वजानिक किये थे। कोरियाई संबंधों के लिए गठित सीओल यूनिफिकेशन मिनिस्ट्री के अधिकारी ने कहा कि “हैरतअंगेज़ है कि इस सूची में किम जोंग उन का नाम शामिल नहीं है।”
केसीएनए के मुताबिक साल 2014 में किम जोंग ने माउंट पेक्टु संसदीय क्षेत्र में 100 प्रतिशत समर्थन हासिल किया था। किम जोंग उन मुल्क की वर्कर्स पार्टी का आधिकारिक प्रमुख है और स्टेट अफेयर कमिशन का चेयरमैन है। किम जोंग के दादाजी अपनी मृत्यु साल 1994 तक देश के राष्ट्रपति बनकर रहे थे।
उत्तर कोरिया के नेता की छोटी बहन और सहायक किम यो जोंग एसपीए के सदस्यों में शामिल है। आलोचकों के अनुसार उत्तर कोरिया में चुनावी प्रतिद्वंदता अनुपस्थित रहती है। यह चुनाव एक परंपरा के तौर पर आयोजित किए जाते है, जिसमें जनता से सरकार के प्रति वफादारी दिखाना अनिर्वाय होता है।
मतदान दिवस के बाद पियोंगयांग के वर्षीय री इन योंग ने कहा कि यह चुनाव विश्व को उत्तर कोरिया के नागरिकों की अपने नेता किम जोंग उन के प्रति एकसमान मानसिक सोच को प्रदर्शित करने का अवसर होता है। अन्य देशों में नागरिक भिन्न सियासी दल के विभिन्न उम्मीदवारों को अलग राजनीतिक विचारधारा के आधार पर मत देते है। लेकिन हमारे समाजवादी सिस्टम में जनता सिर्फ उम्मीदवारों को वोट देती है। उत्तर कोरिया की समान्य जनता विदेशी मीडिया से मुखातिब होते वक्त सरकार के खिलाफ असंतोष प्रदर्शित करती है।