ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी सोमवार को अपने इराकी समकक्षी बरहम सालिह से द्विपक्षीय वार्ता के लिए इराक पंहुच चुके हैं। बीबीसी के मुताबिक हसन रूहानी के साथ राजनीतिक-आर्थिक प्रतिनिधि समूह भी यात्रा पर आया है। इराक के साथ हसन रूहानी द्विपक्षीय संबंधों में विस्तार करना चाहता है। इसमें राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध शामिल है।
ईरानी राष्ट्रपति की इराक यात्रा
हसन रूहानी की यात्रा से पूर्व ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ द्विपक्षीय मुलाकात की तैयारियों के लिए इराक पंहुच गए थे। ईरान के राष्ट्रपति की इराक की आधिकारिक यात्रा के दौरान अधिक समझौतों पर हस्ताक्षर होने की है। इसके आलावा हसन रूहानी वरिष्ठ नेता अयातुल्ला सैय्यद अली सिस्तानी और अन्य नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।
ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि “ईरान और इराक अधिक समानताओं, भूगौलिक और सांस्कृतिक लिहाज से पड़ोसी राज्य हैं। हम दोनों देशों के संबंधों के बीच किसी तीसरे देश को दखलंदाज़ी करने का अधिकार नहीं है।”
व्यापार पर रहेगा फोकस
हसन रूहानी की ईराक यात्रा का मुख्य कारण व्यापार में वृद्धि बताया जा रहा है। ईरानी न्यूज़ एजेंसी मेहर न्यूज़ के मुताबिक हसन रूहानी इराक से 20 अरब डॉलर तक के व्यापार वृद्धि के बारे में बात कर सकते हैं।
न्यूज़ एजेंसी नें राष्ट्रपति रूहानी की ओर से कहा, “दोनों ईरान और इराक देश हमेशा से ही एक दुसरे का समर्थन करते आये हैं। ईरान की जनता और सरकार इस बात को समझती है कि इराक और उसकी सेना हमेशा से आतंकवाद जैसे मुद्दों पर ईरान के साथ खड़ी है।
उन्होनें आगे कहा कि दोनों देश व्यापार के मामले में काफी अच्छे साझेदार हैं और अब उनकी कोशिश है कि दोनों देश द्विपक्षीय व्यापार में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और एक-दुसरे को आर्थिक रूप से मजबूत करने में मदद करें।
अमेरिका का यूएन में आरोप
अमेरिका ने गुरूवार को ईरान पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् के नियमो की अनदेखी कर दिसंबर से एक बैलिस्टिक मिसाइल के परिक्षण और दो सॅटॅलाइट लांच करने का आरोप लगाया था। उन्होंने परिषद् से ईरान पर कठोर प्रतिबंधों को थोपने का अनुरोध किया था।
रायटर्स के मुताबिक 15 सदस्यीय परिषद् में कार्यवाहक अमेरिकी राजदूत जोहनाथन कोहेन ने कहा कि “ईरान ने 1 दिसंबर 2018 को मेडियम रेंज बैलिस्टिक मिसाइल का परिक्षण किया था और सॅटॅलाइट को ऑर्बिट में 15 जनवरी और 5 फरवरी को स्थापित करने का प्रयास भी किया था।
दिसंबर में आयोजित सुरक्षा परिषद् की बैठक में अमेरिकी रक्षा सचिव माइक पोम्पिओ ने संस्था से आग्रह किया कि ईरान को बैलिस्टिक मिसाइल की गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर भाषा में समझाना आवश्यक है। अमरीका ने अभी सुरक्षा परिषद् के समक्ष कोई कठोर प्रतिबन्ध वाला प्रस्ताव पेश नहीं किया है। हालाँकि ऐसे किसी कदम का विरोध करते हुए रूस और चीन वीटो पावर का इस्तेमाल कर सकते हैं।