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    मदर इंडिया: ऑस्कर्स नामांकन में बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज के लिए जाने वाली पहली भारतीय फिल्म

    आजकल फिल्मो के लिए अकादमी अवार्ड में जाना बहुत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है मगर हम आपको उस फिल्म के बारे में बताते हैं जो भारत की तरफ से पहली बार किसी अकादमी अवार्ड में बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म के लिए चुनी गयी थी। फिल्म का नाम “मदर इंडिया” था।

    मेहबूब खान द्वारा निर्देशित फिल्म में नरगिस, सुनील दत्त, राज कुमार और राजेंद्र कुमार ने मुख्य किरदार निभाया था और फिल्म 1957 में रिलीज़ हुई थी। उस समय, “मदर इंडिया” सबसे महंगा हिंदी प्रोडक्शन में से एक था। फिल्म की कई सारी स्क्रीनिंग हुई थी जिसमे मनोरंजन और राजनीती जगत के कई दिग्गजों की उपस्थिति दर्ज़ की गयी थी। 1958 में, फिल्म को अकादमी अवार्ड के बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज के लिए भारत के पहले सबमिशन के रूप में भी चुना गया था। भले ही फिल्म को नामांकन मिला, लेकिन यह सिर्फ एक वोट से हार गई।

    https://youtu.be/Ud3Vxn3AyzE

    फिल्म खान द्वारा ही निर्देशित फिल्म ‘औरत’ का रीमेक थी जिसमे गरीबी से पीड़ित ग्रामीण महिला राधा की कहानी दिखाई गयी थी। अपने पति की अनुपस्थिति में वह कितने संघर्ष के साथ अपने बेटों को पाल-पौष कर बड़ा करती है।राधा की कहानी, अन्य चीजों के बीच एक चालाक मनी-लेंडर के खिलाफ अस्तित्व की लड़ाई सहित कई कठिनाइयों का सामना करते हुए, एक कालातीत कहानी बन गई।

    “मदर इंडिया” के अलावा, बाकि ऑस्कर्स के लिए नामांकित होने वाली केवल दो ही भारतीय फिल्में रही हैं जिनके नाम हैं- ‘सलाम बॉम्बे’ और ‘लगान’। फिल्म की ना केवल कहानी को, बल्कि कलाकारों के शानदार अभिनय को भी खूब सराहा गया था और देखते ही देखते फिल्म एक मास्टरपीस बन गयी।

    फिल्म में नरगिस ने अपने वास्तविक पति सुनील दत्त की माँ का किरदार निभाया था। इतनी कम उम्र में, इतनी परिपक्व और कठिनाइयों का सामना करती महिला का किरदार निभाने के लिए उन्हें बहुत शोहरत और लोकप्रियता मिली थी। फिल्म की कहानी के साथ साथ, इसके गानों ने भी दर्शको के दिलों में एक अलग जगह बना ली है।

    By साक्षी बंसल

    पत्रकारिता की छात्रा जिसे ख़बरों की दुनिया में रूचि है।

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