भारत ने गुरूवार को रूस से न्यूक्लियर पावर अटैक सुबरमाइन यानी परमाणु लैस पनडुब्बी को 10 साल के लिए 3 अरब डॉलर पर किराये पर लिया है। इससे भारतीय नौसेना की ताकत में काफी इजाफा हुआ है।
लाइवफिस्ट के मुताबिक इसकी कीमतों और अन्य पहलुओं पर महीनों से माथापच्ची के बाद दोनों देशों ने आंतरिक सरकारी समझौते पर दस्तखत किये हैं।
इस पैक्ट के तहत रूस को अकुला क्लास पनडुब्बी, चक्र III को भारतीय नौसेना तक साल 2025 तक डिलीवर करना होगा। यह तीसरी रुसी पनडुब्बी है जिसे भारत ने किराये पर लिया है। रक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस समझौते पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया था।
हिन्द महासागर पर चीन की बढ़ती गतिविधियों के कारण भारत ने अपनी नौसेना की ताकत को बढ़ाया है। भारतीय नौसेना ने रुस से दो अन्य पनडुब्बी भी किराये पर खरीदी हैं। रुस से ली गयी पहली न्यूक्लियर पनडुब्बी आईएनएस चक्र है, जो साल 1988 में तीन वर्ष के लिए ली गई थी।
इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक दूसरी आईएनएस चक्र को साल 2018 में 10 सालों के लिए किराये पर लिया गया था। चक्र II की समयसीमा साल 2022 में समाप्त हो जाएगी और भारत इसमे वृद्धि करने की सोच रहा है।
रूस के राष्ट्रपति वादिमिर पुतिन ने भारत को सन्देश लिखकर कहा कि भारतीय सुरक्षा विभागों की जरूरतों की पूर्ती के लिए कलाश्निकोव असॉल्ट राइफल्स की 200 सीरीज का निर्माण भारत और रूस मिलकर करेंगे। इस सन्देश को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पढ़कर सुनाया था।
पीएम नरेंद्र मोदी के अमेठी में कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री ने यह सन्देश पढ़ा, जहां उन्होंने राइफल्स के निर्माण के लिए यूनिट की नींव रखी थी। निर्मला सीतारमण ने व्लादिमीर पुतिन के हवाले से कहा कि “यह संयुक्त उद्यम में विश्व की सबसे मशहूर असॉल्ट राइफल्स का निर्माण किया जाएगा और उत्पादन को पूरी तरह घरेलू किया जाएगा। भारतीय रक्षा उद्योग क्षेत्र के पास राष्ट्रीय सुरक्षा विभागों की छोटे हथियारों के वर्ग की जरुरत को पूरा करने का अवसर है।”