संभावना जताई जा रही है कि जीएसटी के अगले चरण में विभिन्न रेट्स को केवल दो या तीन स्लैब में जोड़कर पूरी संरचना को आसान बनाया जाएगा। इसका मतलब यह है कि एक बार फिर से 28 और 18 फीसदी स्लैब से कई वस्तुओं को हटाया जाएगा।
स्लैब में किए गए हालिया बदलाव के बाद उद्योग की प्रतिक्रिया के अनुरूप कानूनों, नियमों और प्रक्रियाओं को आसान बनाते हुए अगली कुछ बैठकों में जीएसटी काउंसिल अपने एजेंडे में एक बार फिर से बदलाव करेगी।
अगले चरण में जीएसटी में होने वाले संभावित बदलाव
- 5 और 12 फीसदी स्लैब में आवश्यक बदलाव।
- 28 फीसदी स्लैब से कुछ अन्य वस्तुओं को हटाकर 18 फीसदी स्लैब में लाया जाएगा।
- 28 फीसदी स्लैब को पूरी तरह परिवर्तित करने की कोशिश होगी ताकि आगामी राजस्व नुकसान से बचा जा सके।
- जीएसटी रेट से संबंधित फीडबैक आने के बाद स्लैब में बदलाव होना लाजिमी
चूंकि 28 फीसदी के स्लैब में सीमेंट, पेंट जैसी कई वस्तुए बची हुई हैं, ऐसे में अगर राजस्व में वृद्धि हुई तो इन वस्तुओं को भी 28 फीसदी के स्लैब से हटाया जा सकता है। राज्य सरकार के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि अब 12 तथा 5 फीसदी स्लैब को रिसैटल करने पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि काउंसिल अब अचल संपत्ति और पेट्रोलियम जैसे उत्पादों को भी जीएसटी स्लैब में शामिल करने पर विचार कर रही है।
केंद्र सरकार ने समीक्षा के लिए व्यापार प्रतिनिधित्व से जुड़े एक ऐसे समूह की स्थापना की है, जो एक जुलाई से लेकर अब तक जीएसटी रेट की खामियों की समीक्षा करेगी। पिछले हफ्ते गुवाहाटी में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में 28 फीसदी स्लैब में आने वाली आधी से ज्यादा वस्तुओं को 18 फीसदी के दायरे में कर दिया गया।
आपको बता दें कि गुवाहाटी में आयोजित काउंसिल मीटिंग में करीब 178 वस्तुओं को 28 फीसदी के स्लैब से हटाकर 18 फीसदी के स्लैब ले जाया गया। शुक्रवार को लिए गए एक निर्णय में रेस्तरां सर्विस को 12 फीसदी से 5 फीसदी जीएसटी स्लैब में लाया गया।
राज्य सरकार के एक अधिकारी का कहना है कि हमें राजस्व वृद्धि की अभी और जरूरत है, ऐसे में 28 फीसदी स्लैब से कुछ और वस्तुओं को 18 फीसदी स्लैब में लाने से राजस्व को हानि हो सकती है।
अधिकारियों का मानना है कि केवल दो वस्तुओं सीमेंट और पेंट को 28 फीसदी के स्लैब से हटाने पर सरकार को राजस्व में बीस हजार करोड़ रूपए से ज्यादा की लागत वहन करनी होगी। अभी तक 28 फीसदी के स्लैब में अन्य सामान्य वस्तुएं जैसे एयर कंडीशनर, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर और डिजिटल कैमरा आदि शामिल हैं। कुल मिलाकर 50 से ज्यादा वस्तुएं अभी भी 28 फीसदी स्लैब में बनी हुई हैं।
अरविंद सुब्रह्मण्यम समिति की सिफारिश
मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली एक समिति ने 15 से 15.5 फीसदी रेट को औसतन स्तर पर रखने के लिए सुझाव दिया था। वहीं सेवाओं तथा अन्य सामानों को 17—18 फीसदी स्लैब में, जबकि विलासिता के सामान और तंबाकू जैसी वस्तुओं के लिए 40 फीसदी टैक्स रेट तय की थी। यही नहीं अन्य जरूरी सामानों के लिए सबसे कम 12 फीसदी के स्लैब में रखने की सिफारिश की थी।
गौरतलब है कि 5 फीसदी और 12 फीसदी स्लैब में कुछ बदलाव किए जाएंगे जिससे जीएसटी सरंचना को पूरी तरह से आसान बनाया जाएगा।
पीडब्ल्यूसी के प्रतीक जैन का कहना है, “जीएसटी को एक सरल, पारदर्शी और स्थिर कर प्रणाली के रूप में होना चाहिए। एक से अधिक जीएसटी स्लैब होने विवाद पैदा होते हैं क्योंकि व्यवसाय अपने उत्पादों को कम स्लैब में वर्गीकृत करने का प्रयास करते हैं।”
ईआई के पार्टनर बीपीन सपरा के अनुसार ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और सिंगापुर सहित अधिकांश देशों में मानक दर के साथ टैक्स रेट की केवल एक श्रेणी है। उन्होंने कहा कि “सिंगल रेट स्लैब से जटिलता दूर होती हैं और राजस्व का नुकसान भी कम होता है।
विपक्षी दलों की मांग
देश की विपक्षी पार्टियां पेट्रोलियम उत्पादों और एलपीजी सिलेंडर को भी जीएसटी स्लैब में शामिल करने की मांग कर रही हैं। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि जीएसटी रेट की अधिकतम श्रेणी 18 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। ताकि आम आदमी को अधिक से अधिक राहत मिल सके।
आप को याद दिला दें कि गुवाहाटी आयोजित जीएसटी काउंसिल की मीटिंग से एक दिन पहले ही विपक्षी पार्टियों ने जीएसटी स्लैब में सुधार करने की मांग की थी।